हैदराबाद : केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकारों की कई परियोजना इस उम्मीद के साथ शुरू की जाती हैं कि वे जल्द पूरी होंगी और लोगों को उसका लाभ मिलेगा. लेकिन परियोजनाओं की धीमी रफ्तार की वजह से उम्मीदें अपनी चमक खो रही हैं. परियोजनाओं के पूरा होने में हो रही देरी के कारण लागत में दिन-ब-दिन बढ़ोत्तरी हो रही है. बजट के बढ़ने के कारण बहुत सी परियोजनाओं अधर में लटकी हुई हैं.
केंद्रीय क्षेत्र की परियोजनाओं (150 करोड़ रुपये से अधिक) पर तिमाही परियोजना क्रियान्वयन रिपोर्ट की पहली तिमाही 2020-2021 (अप्रैल-जून,2020) की रिपोर्ट में बताया गया कि 1698 परियोजनाओं में 469 मेगा प्रोजेक्ट (प्रत्येक की लागत 1000 करोड़ से अधिक) और 1229 मेजर प्रोजेक्ट (प्रत्येक की लागत रु 150 करोड़ से अधिक और 1000 करोड़ रुपये से कम) है. कुल परियोजनाओं की लागत 25,08,365.12 करोड़ रुपये है.
30 जून 2020 तक कुल खर्च 11,46,513.88 करोड़ रुपये का है, जो कुल प्रत्याशित लागत का 45.71 प्रतिशत और मूल लागत का 54.71 प्रतिशत है. इन 1698 परियोजनाओं के लिए 2020-21 में 1,12,684.78 करोड़ रुपये आवंटित किया गया था.
रिपोर्ट के भाग- I में समीक्षाधीन तिमाही के दौरान सेक्टर-वार समय और लागत से अधिक होने का संकेत दिया गया है. भाग- II क्षेत्रीय विश्लेषण और व्यक्तिगत परियोजनाओं की स्थिति पर केंद्रित है.
1698 परियोजनाओं में 414 परियोजनाएं 4,33,76,229 करोड़ के लागत से अधिक की थी, जो उनके स्वीकृत लागत का 66.71 प्रतिशत है. हालांकि, नए अनुमोदित लागत में 372 परियोजनाओं को लागत से 2,69,63,565 करोड़ रुपये अधिक रिपोर्ट किया गया. इसके अलावा 184 परियोजनाएं समय और लागत दोनों से प्रभावित हुई. ऐसे में विलंबित परियोजनाओं का प्रतिशत जून 2019 में 37.63% से बढ़कर जून 2020 में 33.29% हो गया.
उपरोक्त आंकड़ों के चार्ट
लागत के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारक