जयपुर.सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर ठगी की वारदातें (Cyber crime in Rajasthan) कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. कई सारी बाध्यताओं के बावजूद साइबर ठग फ्रॉड के नए-नए तरीके इजाद कर लोगों को चूना लगा रहे हैं. ऐसे में अब टेलीग्राम के जरिए लोग यूजर्स को (cyber fraud through telegram) अपना शिकार बना कर लाखों का चूना लगा रहे हैं. ऐसे में लोगों को बेहद सावधान रहने की जरूरत है.
इन दिनों ज्यादातर यूजर्स ओटीटी प्लेटफॉर्म पर फ्री में मूवी या वेब सीरीज डाउनलोड कर रहे हैं. इसका सबसे बड़ा माध्यम टेलीग्राम एप्लीकेशन बन गया है. टेलीग्राम प्रयोग करने वाले यूजर्स बड़ी तादाद में मौजूद हैं. इस एप पर मौजूद पायरेटेड कंटेंट को यूजर बिना सोचे समझे डाउनलोड कर रहे हैं क्योंकि इस पर कोई भी नई मूवी या वेब सीरीज फ्री में देखने को मिल जाती है. इसलिए लोग सुरक्षा की परवाह न करते हुए टेलीग्राम पर मौजूद विभिन्न ग्रुप में जुड़कर दिए गए लिंक से मूवी या वेब सीरीज का पायरेटेड कंटेंट डाउनलोड कर रहे हैं. पायरेटेड कंटेंट डाउनलोड करने के दौरान लिंक से अटैच बग भी यूजर के मोबाइल में आ जा रहा है जो फोन की सिस्टम फाइल को करप्ट करने का काम कर रहा है.
बग डाउनलोड करा साइबर ठग यूजर के मोबाइल एक्सेस कर रहे
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि टेलीग्राम पर ऐसे कई ग्रुप मौजूद हैं जहां पर पिक्चर हॉल से रिकॉर्ड की हुई या फिर किसी वेबसाइट से विभिन्न एप्लीकेशन के जरिए कॉपी की हुई पायरेटेड मूवी या वेब सीरीज उपलब्ध रहती है. शुरू में साइबर ठग वीडियो डायरेक्ट यूजर को डाउनलोड करने का ऑप्शन देते हैं, जिसमें किसी भी तरह का कोई बग नहीं होता है. इसके बाद जब यूजर को उस ग्रुप से वीडियो डाउनलोड करने की लत लग जाती है तब साइबर ठग डायरेक्ट वीडियो का ऑप्शन बंद कर उस ग्रुप पर वीडियो डाउनलोड करने के लिए लिंक डालना शुरू करते हैं. जैसे ही यूजर ग्रुप में आए हुए लिंक पर क्लिक करता है उसके मोबाइल में बग एंटर कर जाता है.
मोबाइल का एक्सेस लेकर करते हैं ठगी और ब्लैकमेल
इसके बाद साइबर ठग यूजर के मोबाइल का पूरा एक्सेस अपने हाथ में ले लेते हैं और यूजर के मोबाइल को एक टूल के रूप में प्रयोग करते हैं. यूजर को इस बात की जरा भी भनक नहीं लगती है कि उसके मोबाइल में मौजूद तमाम डाटा साइबर ठगों के पास पहुंच गया है. उस डाटा का प्रयोग कर यूजर को ब्लैकमेल किया जाता है या फिर उसके साथ ठगी की जाती है. यूजर की फोटो को गलत तरीके से एडिट कर उसे वायरल करने की धमकी देकर रुपयों की डिमांड की जाती है या फिर यूजर के मोबाइल में मौजूद बैंकिंग एप्लीकेशन के जरिए उसके खाते से बड़ी राशि का ट्रांजैक्शन किया जाता है.
ऐसे करें बग की पहचान
टेलीग्राम या अन्य किसी भी एप्लीकेशन पर आए लिंक के जरिए कोई भी वीडियो या मूवी डाउनलोड करने या थर्ड पार्टी और अननोन सोर्स से डाउनलोड करने के बाद मोबाइल में बग आने की संभावना सर्वाधिक रहती है. यूजर के मोबाइल में बग मौजूद है या नहीं इसका पता लगाने के लिए उसे अपने फोन के सिस्टम फाइल में जाना होता है.