हैदराबाद : फूलों से भगवान की पूजा करना भारत की संस्कृति है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि फूलों को देवता के रूप में पूजा करना तेलंगाना की संस्कृति का हिस्सा है? बटुकम्मा, जो एक पुष्प त्योहार है. इसे तेलंगाना में मुख्य त्योहार के रूप में मनाया जाता है. बटुकम्मा उत्सव बुधवार से शुरू हो रहा है, जो नौ दिनों तक दुर्गाष्टमी तक चलेगा.
हर साल लोग इस त्योहार को नौ दिनों तक मनाते हैं. इस दिन को महालय अमावस्याके रूप में भी जाना जाता है. बटुकम्मा त्योहार शारद या शरथ रुथु की शुरुआत का संकेत भी देता है. तेलुगु कैलेंडर के अनुसार महालय अमावस्या 06 अक्टूबर को होगी.
इस दिन बेटियां (अदापादुचुलु) जिनकी शादी हो चुकी है और ससुराल में रहती है, बटुकम्मा उत्सव के लिए अपने मायके आती हैं. वहीं अविवाहित महिला जो अपने अध्ययन और नौकरी के उद्देश्य से माता-पिता से दूर रहती हैं वह भी बटुकम्मा मनाने के लिए अपने को लौट आती हैं.
बटुकम्मा तेलंगाना की सांस्कृतिक भावना का प्रतिनिधित्व करता है. बटुकम्मा एक सुंदर फूलों का ढेर होता है, जिसे विभिन्न अनूठे मौसमी फूलों के साथ तैयार किया जाता है. तेलुगु में, 'बटुकम्मा' का अर्थ है 'मां देवी जीवित हैं' यहां देवी गौरी (पार्वती) देवी हैं.
पौराणिक रूप से बटुकम्मा का अर्थ जीवन का त्योहार है और इसे फसल के लिए देवी पार्वती को उनके आशीर्वाद देने के लिए धन्यवाद देने के लिए मनाया जाता था. इतना ही नहीं उनसे अगले वर्ष के लिए फिर से आशीर्वाद मांगता जाता था.