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6 साल में चावल उत्पादन में 367 फीसदी उछाल, रिकाॅर्ड बनाने की ओर 'तेलंगाना सोना'

1.3 करोड़ टन चावल उत्पादन के साथ तेलंगाना अब भारत में धान का कटोरा बनने की राह पर है. इसे देखते हुए मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने हाल ही में अधिकारियों को 40 लाख टन क्षमता के गोदामों का निर्माण करने और 2,500 किसान समूहों के गठन का निर्देश दिया है. साथ ही सरकार ने सिंचाई परियोजनाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता वाले निर्माण क्षेत्रों में रखा है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

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Published : Jan 15, 2021, 4:53 PM IST

हैदराबाद :2019-20 के दौरान 1.3 मिलियन टन चावल के उत्पादन के साथ तेलंगाना अब भारत में धान का कटोरा बनने की राह पर है. भारत का सबसे युवा राज्य भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा खरीदे जा रहे धान में 63 प्रतिशत का योगदान दे रहा है. नई सिंचाई परियोजनाओं के पूरा होने और सिंचाई के तहत भूमि में वृद्धि के कारण ही उत्पादन में पिछले वर्ष की तुलना में 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है.

तेलंगाना में लगभग 14.19 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की खेती की जाती है. 2014 में आंध्र प्रदेश से अलग होने के बाद चावल उत्पादन में भारी सुधार देखा गया है. 2015-16 में चावल का उत्पादन 29.6 लाख टन था. 2016-17 में बढ़कर 51.7 लाख टन हुआ और 2017-18 में यह 62.5 लाख टन हो गया. फेडरेशन ऑफ तेलंगाना चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एफटीसीसीआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार राज्य ने चावल के उत्पादन में बड़ा उछाल दर्ज किया है. मुख्य रूप से इस वजह से कि करीब 60 लाख एकड़ से अधिक अतिरिक्त भूमि तक सिंचाई की सुविधा पहुंचाई गई है. कई प्रमुख और लघु सिंचाई परियोजनाओं जैसे कि कालेश्वरम परियोजना, देवदुला परियोजना के पूरा होने और मिशन काकतीय के तहत पानी टैंकों के पुनरुद्धार के कारण ही यह संभव हुआ है.

सरकार ने किए सुधार के कई उपाय

तेलंगाना से चावल के निर्यात अवसर और आगे बढ़ने वाली शीर्षक से प्रकाशित एक रिपोर्ट में उद्योग निकाय ने कहा कि किसानों को 24 घंटे मुफ्त बिजली की आपूर्ति के साथ पानी की उपलब्धता ने खाद्यान्न और दालों की उत्पादकता और उत्पादन में पर्याप्त सुधार किया है. इससे पहले तेलंगाना राज्य नागरिक आपूर्ति निगम ने कहा था कि राज्य ने 2019-20 के दौरान वानाकालम (खरीफ की फसल) में 47 लाख टन और यसंगी (रबी की फसल) में 65 लाख टन की खरीद के साथ नए रिकॉर्ड बनाए हैं. निगम ने कहा कि राज्य के गठन के छह साल के भीतर न खरीद में रिकॉर्ड 367 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई. पिछली बार की तुलना में इस वर्ष खरीद में 76 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

40 लाख टन क्षमता के गोदाम बनेंगे

रिकॉर्ड धान उत्पादन को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने हाल ही में अधिकारियों को अतिरिक्त 40 लाख टन क्षमता के गोदामों का निर्माण करने और 2,500 किसान समूहों के गठन का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने सिंचाई परियोजनाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता वाले निर्माण पर रखा है. आने वाले दिनों में गोदावरी और कृष्णा के 1,300 टीएमसी (हजार मिलियन क्यूबिक) फीट पानी का उपयोग किया जाएगा. मिशन काकतीय के तहत टैंकों के पुनरुद्धार और 24 घंटे मुफ्त बिजली आपूर्ति के कारण सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता में सुधार हुआ है. परियोजनाओं, टैंकों और बोरवेल्स के कारण 1.45 करोड़ एकड़ में दो और 10 लाख एकड़ में तीन फसलें होने की संभावना है. फिर तेलंगाना राज्य भारत का चावल का कटोरा बन जाएगा.

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और सुधार की आवश्यकता है

वहीं एफटीसीसीआई रिपोर्ट में निर्यातकों के लिए उच्च परिवहन लागत, यहां उत्पादित चावल में कीटनाशक अवशेषों के उच्च स्तर, उचित भंडारण सुविधाओं की कमी का भी जिक्र किया गया है. तेलंगाना जिसने 2019-20 के दौरान 10,425 टन का निर्यात किया. राष्ट्रीय स्तर पर 5.08 मिलियन टन के कुल निर्यात का सिर्फ 0.21 प्रतिशत हिस्सा रहा. इसी अवधि में आंध्र प्रदेश ने 16.9 लाख टन का निर्यात किया जो कुल निर्यात का 33.6 प्रतिशत है. रिपोर्ट में कहा गया है कि तेलंगाना किसानों को बारीक किस्म के चावल के उत्पादन को बढ़ाने के लिए लंबे अनाज वाले धान की किस्म से छोटे अनाज वाले धान की किस्म को 'तेलंगाना सोना' के रूप में बदलने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है. हालांकि निर्यातकों को लगता है कि केवल लंबे अनाज चावल की अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग है और कम अनाज की किस्म में बदलाव से निर्यात पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है.

विदेशों के बाजार में अच्छी मांग

राज्य में फसल की गैर-बासमती और बासमती की विशिष्ट किस्मों के लिए निर्यात क्षेत्र विकसित करने का सुझाव दिया. उद्योग निकाय के अनुसार, मिस्र, मैक्सिको, मलेशिया, इंडोनेशिया और फिलीपींस संभावित बाजार हैं. यह इंगित करते हुए कि राज्य में लगभग 2,000 चावल मिल हैं. उन्होंने कुछ प्रोत्साहन देकर उन्हें आधुनिक बनाने का आह्वान किया. साथ ही आधुनिक मिलिंग क्षमता, बेहतर परीक्षण, भंडारण और बुनियादी ढांचे को व्यवस्थित करने पर जोर दिया. इससे दूसरे देशों के बाजार में अवसर मिलेगा जो अंततः किसानों की आय बेहतर करने वाला साबित होगा.

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