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तेलंगाना की अन्विता ने किया एवरेस्ट फतह, चोटी पर फहराया तिरंगा - Tricolor hoisted on Everest

तेलंगाना की पर्वतारोही अन्विता रेड्डी ने माउंट एवरेस्ट को फतह कर चोटी पर भारत का तिरंगा फहराया है. अन्विता, जो वर्तमान में भोंगिर के रॉक क्लाइम्बिंग स्कूल में प्रशिक्षक के रूप में कार्यरत हैं, इससे पहले सिक्किम के रेनक, सिक्किम के एक अन्य पर्वत, लद्दाख में बीसी रॉय, किलिमंजारो, काडे और एल्ब्रस पर चढ़ाई कर चुकी हैं. वह दुनिया के सात शिखरों पर जाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.

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Published : May 19, 2022, 5:09 PM IST

Updated : May 19, 2022, 10:51 PM IST

हैदराबाद : तेलंगाना की पर्वतारोही अन्विता रेड्डी ने अपनी सफलता के मार्ग में एक मत्वपूर्ण मील का पत्थर पार किया है. माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर अन्विता ने एक और चोटी को फतह कर लिया है. यदाद्री जिले के भोंगीर शहर की 24 वर्षीय पर्वतारोही भोंगिर के रॉक क्लाइंबिंग स्कूल में प्रशिक्षक है. ट्रांसेंड एडवेंचर्स, हैदराबाद द्वारा आयोजित हिमालय के चढ़ाई के दौरान अंतरराष्ट्रीय माउंट एवरेस्ट अभियान दल का अन्विता हिस्सा बनीं और अप्रैल में हैदराबाद से अपनी यात्रा शुरू की थी. इससे पहले उसने रूस स्थित माउंट एल्ब्रस की चोटी पर तिरंगा फहराया था, जो समुद्र तल से 18,000 फीट की ऊंचाई पर है. हवा को जमाने वाली कड़ी सर्दी के बावजूद अन्विता ने वहां अपना पैर जमा ही दिया. हालांकि, उन्हें खबर थी कि इस चोटी पर चढ़ाई के दौरान पहले ही पांच पर्वतारोहियों की मौत हो चुकी थी.

अन्विता रेड्डी यादाद्री जिले के भोंगीर की रहने वाली हैं. उनकी मां चंद्रकला आंगनवाड़ी शिक्षिका हैं. उसके पिता एक किसान हैं. बचपन में स्कूल के पास लोगों को किले की चढ़ाई करते वह देखा करती थी. जब वह इंटरमीडिएट पर पहुंची तब उसने अखबार में रॉक क्लाइम्बिंग ट्रेनिंग के बारे में एक विज्ञापन देखा. उसने अपने माता-पिता को इस प्रशिक्षण के लिए मनाया और पांच दिवसीय पाठ्यक्रम में शामिल हो गईं. अन्विता के उत्साह और त्वरित सोच को देखकर, कोच ने उसके माता-पिता को एक उन्नत प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में जाने की सलाह दी. पांच दिवसीय प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, अन्विता ने सिक्किम के बीसी रॉय माउंटेन में 40 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में भाग लिया.

तेलंगाना की अन्विता ने किया एवरेस्ट फतह

भोंगिर के नवभारत डिग्री कॉलेज में पढ़ाई के दौरान, वह छुट्टियों पर रॉक क्लाइम्बिंग का अभ्यास करती थीं. जब उन्हें हैदराबाद में आंध्र महिला सभा में एमबीए की सीट मिली, तब उन्होंने प्रिंसिपल से शनिवार और रविवार को चढ़ाई का अभ्यास करने के लिए पहले ही अनुमति ले ली थी. अन्विता ने शेखर बाबू के मार्गदर्शन में ट्रांसेंड एडवेंचर्स में अपने पर्वतारोहण कौशल प्राप्त करने के साथ-साथ प्रथम श्रेणी में स्नातक किया. उसका सपना एवरेस्ट फतह करना है. जिसके लिए उसने हिमालय में एक महीने का बेसिक कोर्स पूरा किया. लेकिन जैकेट, जूते और गियर की कीमत लाखों रुपये की होने के कारण इसके लिए प्रायोजक की उसने तलाश की, जो आसान न था. इस बीच कोविड-19 महामारी के कारण उसका सपना जैसे आधे रास्ते ही रह गया. अंत में, उसने 12 मई को एवरेस्ट की अपनी यात्रा शुरू की और 16 मई पर सफलतापूर्वक शिखर पर पहुंच गई. अन्विता कहती है कि मालवथ पूर्ण और आनंद कुमार उसकी प्रेरणा हैं.

अन्विता, जो वर्तमान में भोंगिर के रॉक क्लाइम्बिंग स्कूल में प्रशिक्षक के रूप में कार्यरत हैं, इससे पहले सिक्किम के रेनक, सिक्किम के एक अन्य पर्वत, लद्दाख में बीसी रॉय, किलिमंजारो, काडे और एल्ब्रस पर चढ़ाई कर चुकी हैं. वह दुनिया के सात शिखरों पर जाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.

Last Updated : May 19, 2022, 10:51 PM IST

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