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तेलंगाना हाईकोर्ट ने IAS अधिकारी को मुकदमा लड़ने के लिए मिली राशि लौटाने का आदेश दिया - IAS Smitha Sabharwal To Refund Rs15 Lakh

तेलंगाना हाईकोर्ट ने एक महिला आईएएस अधिकारी को 15 लाख रुपये सरकार के खजाने में लौटाने का आदेश दिया है. स्मिता सभरवाल नाम की इस अधिकारी ने एक पत्रिका के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था. इसका लीगल खर्च सरकारी खजाने से दिया गया था. हाईकोर्ट ने इस खर्च को निजी माना है. उन्हें तीन महीने के अंदर पैसा जमा कराने का आदेश दिया गया है.

IAS Smitha
आईएएस अधिकारी स्मिता

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Published : May 3, 2022, 3:51 PM IST

हैदराबाद : तेलंगाना हाईकोर्ट ने एक आईएएस अधिकारी को साप्ताहिक अंग्रेजी पत्रिका के खिलाफ मानहानि का मुकदमा लड़ने के लिए राज्य सरकार द्वारा दी गई 15 लाख रुपये की राशि वापस करने का निर्देश दिया है. तेलंगाना सरकार के एक आदेश (जीओ) को चुनौती देते हुए अगस्त 2015 में दो जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं. अधिकारी स्मिता सभरवाल ने आरोप लगाया था कि खबर और उसके साथ प्रकाशित एक कार्टून के जरिये उन्हें बदनाम करने की कोशिश की गई है. इसके खिलाफ ही मुकदमा दायर किया गया था.

सरकार ने अपने आदेश में कहा था कि उनका लीगल खर्च सरकारी खजाने से दिया जाएगा. जीओ में स्मिता सभरवाल को एक खबर प्रकाशित करने को लेकर पत्रिका के प्रबंधन के खिलाफ जुर्माने की मांग के लिए दीवानी मुकदमा दायर करने के वास्ते अदालती शुल्क और खर्च के भुगतान की खातिर राशि देने का आदेश दिया गया था.

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति अभिनंद कुमार शाविली की खंडपीठ ने हाल ही में पारित आदेश में सभरवाल को फैसले की तारीख से 90 दिनों के भीतर सरकार द्वारा स्वीकृत 15 लाख रुपये वापस करने का निर्देश दिया. आदेश के मुताबिक, अगर अधिकारी द्वारा उक्त राशि 90 दिनों के भीतर वापस नहीं की जाती है, तो राज्य उनसे 30 दिनों के भीतर इसे वसूल करेगा. इसमें कहा गया है कि यह एक ऐसा मामला है, जिसमें आईएएस अधिकारी ने एक निजी कार्यक्रम में हिस्सा लिया था और पत्रिका द्वारा प्रकाशित लेख में अधिकारी व मुख्यमंत्री के खिलाफ कुछ टिप्पणियां की गई थीं.

आदेश के अनुसार, आईएएस अधिकारी जुर्माने का दावा करने के लिए एक मुकदमा दायर करना चाहती थीं और यह निश्चित रूप से पत्रिका के खिलाफ राज्य सरकार की कार्रवाई नहीं है, लिहाजा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 282 को ध्यान में रखते हुए सभरवाल को ‘‘किसी भी सार्वजनिक उद्देश्य के लिए अनुदान’’ शब्दावली के तहत मुकदमा लड़ने के वास्ते राशि नहीं दी जा सकती है.

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