नई दिल्ली : तेलंगाना सरकार ने भारत राष्ट्र समिति (BRS) के विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त के प्रयासों की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) जांच के उच्च न्यायालय के आदेश को शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी और कहा कि 'खरीद-फरोख्त' का आरोप खुद केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ है और केंद्रीय जांच एजेंसियां उसके नियंत्रण में होती हैं. न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने तेलंगाना उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई 27 फरवरी के लिए स्थगित कर दी.
शीर्ष अदालत ने सुनवाई टालने से पहले वरिष्ठ अधिवक्ताओं- दुष्यंत दवे और महेश जेठमलानी- की संक्षिप्त दलीलें सुनीं, जो क्रमशः राज्य सरकार और भाजपा की ओर से पेश हुए थे. दवे ने उच्च न्यायालय के आदेश पर सवाल उठाते हुए कहा, 'जब आरोप भाजपा के खिलाफ ही है तो सीबीआई कैसे जांच कर सकती है? केंद्र सरकार खुद सीबीआई को नियंत्रित करती है.' दूसरी ओर, जेठमलानी ने कहा कि मुख्यमंत्री स्वयं इसके लिए दोषी हैं, क्योंकि उन्होंने मामले में पुलिस जांच का विवरण मीडिया को जारी किया था, जिससे जांच की स्वतंत्रता पर संदेह पैदा हुआ.
दवे ने कहा, 'विपक्षी नेताओं के खिलाफ हर सीबीआई, ईडी की जांच में मीडिया को सूचना लीक की जाती है.' भाजपा के वकील जेठमलानी ने कहा, 'दो गलत चीजें किसी एक चीज को सही नहीं ठहरा सकती हैं.' दवे ने कहा कि यह लोकतंत्र की जड़ों को प्रभावित करने वाला एक गंभीर मामला है. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका 'एकमात्र संस्था है जो लोकतंत्र को बचा सकती है.' राज्य सरकार ने सात फरवरी को सीबीआई जांच के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपनी अपील पर उच्चतम न्यायालय में तत्काल सुनवाई की मांग की थी.