हैदराबाद डेस्क : कई दशकों तक बड़े पैमाने पर चले जन आंदोलन के बाद, दो जून 2014 को तेलंगाना को तत्कालीन एकीकृत आंध्र प्रदेश से अलग कर दिया गया था. दरअसल तेलंगाना निजाम की राजधानी हैदराबाद का हिस्सा था. भारत के इस हिस्से में निज़ाम का शासन 1948 में समाप्त हो गया. नवंबर 1956 में राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों के तहत तब के हैदराबाद यानी तेलंगाना प्रांत को आंध्र प्रदेश में मिला दिया गया था. निज़ाम के शासन के कुछ हिस्सों को कर्नाटक और महाराष्ट्र में भी मिला दिया गया था. आंध्र प्रदेश भाषा के आधार पर बनने वाला पहला राज्य था. इस निर्वाचन क्षेत्र में आंध्र प्रदेश की 294 विधानसभा सीटों में से 119 सीटें हैं. आंध्र प्रदेश की 42 लोकसभा सीटों में से 17 तेलंगाना से हैं.
तेलंगाना कैसे बना:29 नवंबर, 2009 को चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली टीआरएस, तेलंगाना के गठन की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर चली गई. केंद्र सरकार पर बढ़ते दबाव के कारण 3 फरवरी 2010 को पूर्व न्यायाधीश कृष्णा की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया था. समिति ने 30 दिसंबर 2010 को अपनी रिपोर्ट केंद्र को सौंपी थी.
तेलंगाना तब बना 29वां राज्य: आखिरकार तेलंगाना में भारी विरोध और चुनावी दबाव के चलते 3 अक्टूबर 2013 को यूपीए सरकार ने अलग तेलंगाना राज्य के गठन को मंजूरी दी. 2 जून 2014 को, तेलंगाना को भारत का 28 वां राज्य बनाया गया था और चंद्रशेखर राव ने पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी.
तेलंगाना राज्य के 4 मुख्य चिह्न : तेलंगाना राज्य के 4 मुख्य प्रतीक हैं:
राज्य पक्षी:पलपिट्टा, जिसे इंडिया रोलर या ब्लू जे के नाम से भी जाना जाता है.