वारंगल: बीआरएस सुप्रीमो और मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की मुखर आलोचना करने वाले बीजेपी प्रमुख बंदी संजय तेलंगाना में भाजपा के 'फायरब्रांड' नेता बन गए. भगवा ब्रिगेड के लिए बंदी संजय ने राज्य में सत्ता में आने के अपने लंबे समय से अधूरे लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक नई आशा जगाई. तेलंगाना हमेशा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए एक कठिन रहा है. तत्कालीन निजामों के अधीन और रजाकारों के उत्पीड़न के दौरान स्थानीय आबादी के अनुभवों को देखते हुए राज्य में हिंदुत्व ताकतों के लिए मजबूत क्षमता थी. लेकिन भगवा पार्टी कभी भी यहां सत्ता हासिल करने के करीब नहीं पहुंच सकी.
अब 2023 के तेलंगाना चुनाव नजदीक आ रहे हैं. सिर्फ सात महीने रह हैं. इस बार भाजपा अपने प्राथमिक लक्ष्य को हासिल करने के लिए भरसक कोशिश में जुटी है. पीएम मोदी के 8 अप्रैल को राज्य के दौरे से कुछ दिन पहले, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंदी संजय को गिरफ्तार कर लिया गया, जिसे राजनीतिक उछाल के एक और उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है. बंदी संजय की गिरफ्तारी से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानें.
ये हैं 10 बिंदु: 1.भारी तनाव के बीच, भारी पुलिस बल ने घेराबंदी की और मंगलवार आधी रात को बंदी संजय को करीमनगर में उनकी दिवंगत सास के आवास से हिरासत में ले लिया गया था. उन पर राज्य सरकार को बदनाम करने के लिए हिंदी एसएससी पेपर लीक का मास्टरमाइंड करने का आरोप लगाया गया. बाद में उन्हें करीमनगर जेल में रखा गया था.
2. हनमोकोंडा के मुख्य मुंसिफ मजिस्ट्रेट कोर्ट ने बंदी संजय को सशर्त जमानत देते हुए कहा कि वह बिना अनुमति के देश नहीं छोड़ सकते हैं. उन्हें 20,000 रुपये के निजी मुचलके पर जमान दी गई. उन्हें जांच अधिकारियों का सहयोग करने को कहा गया है.
3. भाजपा नेताओं ने दावा किया कि केसीआर के नेतृत्व वाली बीआरएस सरकार विश्वसनीयता खो रही है, यही वजह है कि तेलंगाना में सत्ताधारी पार्टी ऐसे स्टंट कर रही है.
4.बंदी को 10वीं कक्षा के पेपर लीक मामले में तीन अन्य लोगों के साथ 19 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद जमानत मिली.