हैदराबाद: यह सबसे ऊंचा क्षेत्र है. लगातार हिमपात. सांस लेना मुश्किल है. ऐसे में वह प्राणायाम सिखा रही हैं. जवानों के साथ योग करते हुए, यह 78 वर्षीय पद्मिनी जोग सेवापिरथी की कहानी, जो देश भर में मुफ्त योग शिविर आयोजित करती हैं. बेंगलुरु की रहने वाली पद्मिनी ने लंदन यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है. बीएससी होम साइंस पूरा करने के बाद, कर्नल प्रताप जोग से शादी की और उनके दो बच्चे हैं. उन्हें बेकार रहना पसंद नहीं था, इसलिए उन्होंने मोंटेसरी कोर्स किया और बच्चों को मुफ्त में पढ़ाती थी.
पति के रिटायर होने के बाद वे अपने होम टाउन नागपुर पहुंच गईं. सेवा के तौर पर जब नागपुर में योग शिविर चल रहा था तब पद्मिनी अपने पति के साथ गई थीं. उन्होंने कहा कि 'इससे हम दोनों को योग में दिलचस्पी हुई. इसके बाद से दोनों घर पर ही प्रैक्टिस करने लगे. कुछ वर्षों के बाद हमने हरिद्वार में रामदेव बाबा के प्रशिक्षण में योग शिक्षक का कोर्स पूरा किया. बाद में हमने और योग कोर्स किए. एक चैरिटी ने भोपाल के पास सीहोर में कैंप चलाने को कहा. इसलिए हमने अपनी यात्रा शुरू की.'
आगे उन्होंने कहा कि 'पहले शिविर में 600 लोगों ने भाग लिया. अगर वह आसन और प्राणायाम कर रहे होते, तो मैं उन्हें माइक पर समझाती कि उन्हें कैसे करना है और उनके फायदे क्या हैं. हमने एक जोड़े के रूप में पूरे देश की यात्रा की. स्कूल, कॉलेज, वृद्धाश्रम, रोटरी क्लब, वरिष्ठ नागरिक संघ, हमने अधिक से अधिक स्थानों पर शिविर आयोजित किए.' प्रताप, पद्मिनी ने सुरक्षा बलों, सेना, नौसेना, वायु सेना और पुलिस बलों को सेवाएं प्रदान करना शुरू किया। वे आर्मी पब्लिक स्कूलों और केंद्रीय विद्यालयों में प्रशिक्षण लेते हैं.