पटना : जातीय जनगणना (Caste Census) पर केंद्र सरकार ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है. जिसके बाद बिहार की राजनीति में एक बार फिर जातीय जनगणना के मुद्दा गर्म हो गया है. विपक्ष ने अब सीधे इस मामले को सीएम नीतीश कुमार(CM Nitish Kumar) के पाले में डाल दिया है. बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा है कि जातीय जनगणना पर हमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया का इंतजार है.
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि जातीय जनगणना की मांग को ठुकराए जाने के बाद बिहार के सीएम इस पर क्या प्रतिक्रिया देतें हैं, पहले हम इसका इंतजार करेंगे. वो कुछ बोंले उसके बाद ही हम कोई फैसला करेंगे. क्योंकि जातीय जनगणना की मांग लेकर सीएम नीतीश कुमार भी केंद्र के पास गए थे.
तेजस्वी यादव ने ये भी कहा 27 सितंबर को किसानों के प्रस्तावित भारत बंद को महागठबंधन का पूरा समर्थन रहेगा. हम सभी दल किसानों के समर्थन में सड़क पर उतरेंगे.
तेजस्वी ने कहा कि महागठबंधन की सभी पार्टियां(CPI, CPM, CPIML, RJD और कांग्रेस) हमने बैठक की। 27 तारीख को किसानों ने भारत बंद की घोषणा की है. हम सभी ने निर्णय लिया है कि किसानों द्वारा लिए गए भारत बंद आंदोलन का महागठबंधन की सभी पार्टियां समर्थन करेंगी.
बता दें कि 10 सर्कुलर रोड पर महागठबंधन की बैठक के बाद तेजस्वी यादव ने मीडिया को यह जानकारी दी है. जातीय जनगणना पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के हलफनामे को लेकर भी बैठक में चर्चा हुई है. नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि हम सभी ने निर्णय किया है कि हम दो-तीन दिनों तक मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया का इंतजार करेंगे. उसके बाद ही कोई निर्णय लेंगे. बैठक में कांग्रेस, सीपीआई , सीपीएम और सीपीआई एम एल के नेता भी शामिल थे.
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इससे पहले राजद प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने अपने बयान में कहा था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बिहार में अपने खर्चे पर जातीय जनगणना करानी चाहिए. कई राज्यों ने अपने राज्य में कराया है. साथ ही उन्होंने मांग किया कि नीतीश कुमार की बात अगर एनडीए में नहीं सुनी जा रही है तो उन्हें एनडीए से अलग हो जाना चाहिए. अभी समय है उनके पास मुद्दा भी इसी मुद्दे के बहाने उन्हें बीजेपी से बदला लेना चाहिए.
बता दें कि केंद्र सरकार ने जातीय जनगणना कराने से साफ इनकार कर दिया है. इसे लेकर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा भी दायर किया है. जिसमें कहा है कि पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर है और जनगणना के दायरे से इस तरह की सूचना को अलग करना सतर्क नीति निर्णय है. वहीं, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने भी केंद्र सरकार को कहा है कि पिछड़े वर्गों की गणना प्रशासनिक पर मुश्किल है. इससे जनगणना की पूर्णता और सटीकता दोनों को नुकसान होगा.