पटना :राजनीति भी गजब चीज होती है, इसमें अपनी बात ही सियासत है और सियासत में सिर्फ अपनी बात ही होनी चाहिए. झारखंड (Jharkhand) में भी कुछ इसी तरह की राजनीति चल रही है, जहां झारखंड में वर्तमान में चल रही सरकार यह कह रही है कि झारखंड का बिहारीकरण नहीं होने देंगे और अब झारखंड में पार्टी की मजबूती के लिए पहुंचे तेजस्वी यादव(Tejashwi Yadav) ने कह दिया कि झारखंड हमारा पुराना घर है.
तेजस्वी यादव बिहार में काफी मजबूती से खड़े हैं और झारखंड में पार्टी को मजबूत करना चाह रहे हैं, लेकिन झारखंड ने बिहार पर जो तंज कसा है, उसके बारे में न तो झारखंड में सवाल पूछा गया और ना ही झारखंड की सियासत इसका जवाब देने के लिए तैयार है.
सवाल हर बिहारी इसलिए भी पूछ रहा है कि बिहार की भोजपुरी (Bhojpuri) भाषा को लेकर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने अमर्यादित बयान दिया है. मगही, मैथिली, अंगिका जैसी भाषा का कोई मतलब ही झारखंड में नहीं है. अब तेजस्वी यादव अपने पुराने घर गए हैं और अपने से ही कह दिया है कि 'झारखंड' हमारा 'पुराना घर' है. अब सवाल यह उठ रहा है कि जिस भोजपुरी भाषा से उनकी पैदाइश है और उनके खानदान की शुरुआत अगर होती है तो उसके लिए भाषा भी भोजपुरी है, दादी मरछिया देवी भोजपुरी के अलावा दूसरी भाषा बोल ही नहीं पाई.
अब सवाल यह उठ रहा है कि जिस भाषा के लोग वहां पार्टी को मजबूत करने गए हैं और हेमंत सोरेन ने जो बयान दिया है उसके बीच समन्वय होगा कैसे. अब तेजस्वी यादव को जवाब इसलिए भी देना होगा कि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बिहार की सबसे बड़ी पार्टी के कर्ताधर्ता हैं और लालू की सियासत (Politics of Lalu) के सबसे बड़े खेवनहार भी तेजस्वी हैं.
तेजस्वी की एक बात बिल्कुल सही है कि झारखंड उनका पुराना घर है, क्योंकि अगर सरकारी पन्ने में खोजा जाए तो लालू यादव (Lalu Yadav) ने किसी अस्पताल में रहने के एवज में 8 लाख का भुगतान नहीं किया है, लेकिन झारखंड में रहने के दौरान लालू यादव ने एक अस्पताल के लिए 8 लाख का भुगतान भी किया है, तो संभव है कि तेजस्वी यादव को तो पुराना घर याद ही होगा, क्योंकि पैसा वहां खर्च हुआ है. लेकिन, बिहार के बारे में जरा उस कर्ज को भी सोचना होगा और बिहार पर लगे आरोप और उसकी जवाबदेही के फर्ज को भी कि अगर तेजस्वी अपने पुराने घर गए हैं, तो फिर पुरानी बातों का मजाक क्यों उड़ रहा है.
हेमंत सोरेन ने पहले भी कह दिया है कि बिहार के लोगों को अब शायद ही झारखंड में नौकरी मिले. झारखंड सरकार यह नियम ला रही है कि अब झारखंड के लोगों के लिए ही कुछ नौकरी हैं जो सीधे तौर पर आरक्षित रहेंगी. अब जिन बिहारियों का झारखंड पुराना घर है उनको भी वैसी नौकरी से महरूम होना पड़ेगा. बिहार सवाल पूछ रहा है कि आखिर झारखंड से तेजस्वी यादव क्या ले करके आएंगे? क्योंकि, भाषा पर तंज आ चुका है, 'झारखंड का बिहारीकरण नहीं होने दिया जाएगा' यह भी हेमंत सोरेन ने कह दिया है. तो बिहार की सियासत झारखंड में किस रूप में स्थापित होगी? ये तो तेजस्वी यादव ही जानें, लेकिन बिहार की जो फजीहत हुई है उसका जवाब तेजस्वी नहीं मांगेंगे, यह बिल्कुल निश्चित है.