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कोविड से युद्ध में शामिल हुई तेजस की तकनीक, ऐसे जीतेगा भारत

सैन्य आवश्यकताओं को आसानी से नागरिक आवश्यकताओं के अनुरूप कैसे बनाया जा सकता है? इसका उदाहरण यह है कि तेजस एयर फाइटर तकनीक का इस्तेमाल कोविड के खिलाफ लड़ाई में किया जा रहा है. जानकारी दे रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार संजीब कुमार बरुआ.

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Published : Apr 20, 2021, 6:45 PM IST

नई दिल्ली :स्वदेश में बने लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस के लिए विकसित ऑन-बोर्ड ऑक्सीजन जेनरेशन टेक्नोलॉजी को एक अलग तरह का युद्ध लड़ने के लिए तैयार किया जा रहा है. जो युद्ध इस समय पूरी मानव जाति एक साथ लड़ रही है. कोविड रोगियों के लिए ऑक्सीजन की पूर्ति व चिकित्सकीय ऑक्सीजन उत्पादन करने के लिए 1000 लीटर प्रति मिनट की क्षमता वाली ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट शुरु किया जा चुका है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा मंगलवार को जारी विज्ञप्ति के अनुसार कोविड-19 मामलों में बढ़ोतरी के दौरान तैयारियों की समीक्षा के लिए रक्षा मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों और सशस्त्र सेवाओं के साथ मंगलवार को आभासी बैठक हुई. हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने पहले ही पांच ऐसे संयंत्र स्थापित करने के आदेश दिए हैं.

डीआरडीओ प्रमुख ने बताई उपयोगिता

डीआरडीओ प्रमुख डॉ. जी. सतीश रेड्डी ने बताया कि अस्पताल की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इस तरह की और अधिक आपूर्ति उद्योगों द्वारा की जा सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों के लिए विकसित SpO2 (रक्त ऑक्सीजन संतृप्ति) आधारित पूरक ऑक्सीजन वितरण प्रणाली का उपयोग कोविड रोगियों के लिए किया जा सकता है क्योंकि उनकी स्थिति समान है. DRDO द्वारा प्रदत्त तकनीक के अनुसार यह उत्पाद उद्योगों से जल्द ही बाजार में उपलब्ध होगा.

तेजस के 16 विमान होंगे तैयार

सरकार ने पहले से ही 83 एमके 1 ए तेजस विमान बनाने के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ 48,000 करोड़ रुपये के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. इन एलसीए मार्क 1 ए सेनानियों में से पहले तीन 2023 तक तैयार होने की उम्मीद है जबकि पूरे की आपूर्ति 2028 तक पूरी होने की उम्मीद की गई है. जिससे अगले पांच साल में 16 विमानों जुड़ जाएंगे.

युद्धस्तर पर किया जाएगा काम

ऑक्सीजन जनरेटर तकनीक के अलावा डीआरडीओ में रडार चेतावनी रिसीवर और एस्ट्रा मिसाइल सहित कई अन्य महत्वपूर्ण योगदान है. डीआरडीओ के समग्र नियंत्रण में तेजस को विमान विकास एजेंसी (एडीए) द्वारा डिजाइन किया जा रहा है, जबकि इसका निर्माण एचएएल द्वारा किया जाएगा. मंगलवार को बैठक के दौरान रक्षा मंत्री ने DRDO, डिफेंस पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स (DPSUs) और आयुध निर्माणी बोर्ड (OFB) से आग्रह किया कि जल्द से जल्द नागरिक प्रशासन या राज्य सरकारों को ऑक्सीजन सिलेंडर और अतिरिक्त बेड उपलब्ध कराने के लिए युद्धस्तर पर काम किया जाए.

इन संस्थाओं की ली जा रही मदद

रक्षा मंत्री को संकट की इस घड़ी में नागरिक प्रशासन की सहायता प्रदान करने के लिए AFMS, DRDO, DPSUs, OFB के साथ ही रक्षा मंत्रालय के अन्य संगठनों जैसे राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) द्वारा किए गए उपायों के बारे में जानकारी दी गई. DRDO नई दिल्ली में पहले से ही एक COVID-19 सुविधा का संचालन कर रहा है और जल्द ही बिस्तरों की संख्या 250 से बढ़ाकर 500 करने की कोशिश की जा रही है.

इन शहरों में बन रहे कोविड अस्पताल

डीआरडीओ प्रमुख ने यह भी बताया कि ईएसआईसी अस्पताल जिसे पटना में कोविड ​​अस्पताल में बदल दिया गया है, ने 500 बेड के साथ काम करना शुरू कर दिया है. यही काम लखनऊ में 450 बेड के अस्पताल, वाराणसी में 750 बेड का अस्पताल और अहमदाबाद में 900 बिस्तरों वाले अस्पताल को स्थापित करने के लिए युद्धस्तर पर कार्य जारी है.

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यह अधिकारी रहे बैठक में शामिल

रक्षा मंत्री और डीआरडीओ प्रमुख के अलावा बैठक में मौजूद रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, नौसेना स्टाफ के प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह, थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे, महानिदेशक सशस्त्र बल मेडिकल सेवा (AFMS) सर्जन वाइस एडमिरल रजत दत्ता, सचिव (रक्षा उत्पादन) राज कुमार और अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारी शामिल रहे.

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