मुंबई : राम मंदिर निर्माण कार्य में जहां कहीं भी लकड़ियों की जरूर होती, वहां पर टीक की लकड़ी का प्रयोग किया जाएगा. महाराष्ट्र के वन मंत्री सुधीर मुनगंतीवार ने कहा कि चंद्रपुर जिले में उत्पादित सख्त और टिकाऊ सागौन की लकड़ी राम मंदिर के लिए भेजने का रास्ता साफ हो गया है.
सागौन की लकड़ी का उपयोग मंदिर के मुख्य दरवाजे, अंदर के दरवाजे, गर्भगृह के प्रवेशद्वार बनाने में किया जाएगा. इसके अलावा पूरे मंदिर परिसर में जहां भी लकड़ी की जरूरत होगी, पूरी की जाएगी. मंत्री ने कहा कि शोभायात्रा, प्रार्थना, पूजा, नृत्य प्रस्तुति और अन्य कार्यक्रमों के साथ राज्य से बड़ी धूमधाम से लकड़ी की खेप भेजी जाएगी. कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए प्रमुख हस्तियों को आमंत्रित किया गया है.
इन हस्तियों में 35 साल पहले दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले अविस्मरणीय टीवी धारावाहिक 'रामायण' की स्टारकास्ट शामिल हैं - अरुण गोविल, दीपिका चिखलिया, सुनील लहरी के अलावा योगगुरु रामदेव बाबा, सद्गुरु जग्गी वासुदेव और श्रीश्री रविशंकर, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के मंत्री, सांसद, विधायक और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल होंगे. शोभायात्रा बुधवार (29 मार्च) को बल्लारपुर में 'राम और लक्ष्मण' नाम के दो प्राचीन वृक्षों की पूजा के साथ शुरू होगा - जो एशिया में सबसे बड़े परिधि के रूप में प्रतिष्ठित हैं - इसके बाद महाकाली मंदिर से एक और शोभायात्रा निकाली जाएगी.
इनमें राज्यभर के 2,100 कलाकारों द्वारा महाराष्ट्र की 43 प्रकार की लोक कलाओं का प्रदर्शन देखा जाएगा, जिसमें मल्लखंब, डिंडी, लेजिम, ढोल पाठक, ध्वज पाठक, दशावतार, गणगौर, तारपा जैसे कला रूप और 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' की अवधारणा पर प्रस्तुतियां शामिल हैं. शोभायात्रा जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी, सागौन की लकड़ी पर फूल बरसाए जाएंगे, पूरे मार्ग पर रंगोली और तोरणों से सड़कों को सजाया जाएगा.
महाराष्ट्र की 'नारीशक्ति' और 'साडे तीन शक्तिपीठे' की झांकी - जिसने इस साल के गणतंत्र दिवस समारोह में दूसरा पुरस्कार जीता, और उत्तर प्रदेश की झांकी, जिसने तीसरा पुरस्कार जीता - भी चंद्रपुर शोभायात्रा में शामिल होंगी. चंदा चौक में राम मंदिर के पास शोभायात्रा समाप्त होने के बाद शाम को एक विशेष कार्यक्रम में पाश्र्व गायक कैलाश खेर भगवान राम के भजन और भक्ति गीत प्रस्तुत करेंगे. मुनगंतीवार के अनुसार, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र (एसजेटीके) के महासचिव चंपत राय ने कहा है कि राम मंदिर के विभिन्न दरवाजों के निर्माण के लिए वे सर्वोत्तम गुणवत्ता वाली लकड़ी की तलाश कर रहे थे, जो एक हजार से अधिक वर्षो तक चलने की उम्मीद है.