बुरहानपुर। मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिला मुख्यालय से 8 किमी दूर फतेहपुर गांव के शासकीय प्राथमिक स्कूल में एक दृष्टिहीन शिक्षक विद्यार्थियों के जीवन को रोशन कर रहे हैं. रोचक बात ये है कि स्कूल के सभी विद्यार्थी सामान्य है, यानि देख, बोल, सुन सकते हैं, लेकिन इन्हें पढ़ाने वाले शिक्षक खुद देख नहीं सकते. बाबजूद इसके शिक्षक अपनी मन की शक्ति से नन्हें, मुन्नों का भविष्य गढ़ रहे हैं. शिक्षक दिवस के अवसर पर आज हम ऐसे ही एक शिक्षक से आपका परिचय करवा रहे हैं, जिन्होंने अपनी कमजोरी को अपनी शक्ति बनाई. पिछले 25 सालों में उनके(शिक्षक) पास से सैकड़ों विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर निकले और आगे की कक्षाओं में भी बेहतर प्रदर्शन किया, इस शिक्षक का नाम रामलाल भिलावेकर हैं.
दृष्टिहीन शिक्षक के संघर्ष की कहानी:शिक्षक रामलाल भिलावेकर के जीवन की कहानी बड़ी मार्मिक हैं, भिलावेकर बताते हैं कि "जन्म से ही मुझे दिखाई देना पूरी तरह बंद हो गया, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी. माता-पिता मेरी चिंता करने लगे, तो मैंने उनका सहारा बनने का ठान लिया और अपनी कमजोरी को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया. मैंने अपनी पढ़ाई जारी रखी, मेरी इस उमंग को देखकर माता-पिता उम्मीद भी जागी और उन्होंने मुझे पूरा सहयोग किया. माता-पिता के सहयोग का नतीजा यह रहा है कि मुझे 1998 में बतौर शिक्षक के रूप में नौकरी का मौका मिली और तब से आज तक मैं शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर अपनी सेवाएं दे रहा हूं."