आगरा :आज डिजिटल इंडिया (Digital India) का जमाना है, क्योंकि आज हर हाथ में स्मार्टफोन है. लेपटॉप और डेस्कटॉप पर बच्चे, युवा और बुजुर्गों की अंगुलियां खूब नाचती हैं. कोरोना संक्रमण से तो संचार के संसार का दरिया तेजी से बढ़ रहा है, क्योंकि दुनिया में हर छोटी से बड़ी खरीदारी, जॉब्स और पढ़ाई भी ऑनलाइन है. डिजिटल वर्ल्ड में साइबर क्राइम का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है. आगरा के रक्षित टंडन 13 साल से साइबर साक्षरता की अलख जगा रहे हैं.
शिक्षक दिवस पर ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में साइबर क्राइम एक्सपर्ट रक्षित टंडन ने बताया कि उन्होंने अब तक 40 से 45 लाख बच्चों को साइबर साक्षर बनाया है. पुलिस और अन्य एसोसिएशन के साथ मिलकर लगातार साइबर साक्षरता की मुहिम चला रहे हैं. आजकल साइबर का संसार बढ़ने से बच्चों की डिजिटल बैंलेंस डाइट भी जरूरी है.
साइबर क्राइम एक्सपर्ट रक्षित टंडन ने बताया कि जब हमारा बच्चा सुबह इंटरनेट ऑन करता है. वह मोबाइल, लेपटॉप या डेस्कटॉप की स्क्रीन पर जाता है तो वह तरह के एप्लीकेशन को कंज्यूम करता है. वह सोशल मीडिया पर जाता है. वहां पर कोई फेक न्यूज होती है. अश्लील चित्र होता है. उसे देखता है. पोर्न साइट पर जाता है. एब्यूज ऑफ कंटेंट होता है. कुछ अच्छा कंटेट होता है. कुछ बुरा कंटेट होता है. मोबाइल में बच्चा 10 तरह के एप्लीकेशन चलता है. वह गेम्स खेलता है. हेडफोन लगा लेता है. उसके साथ दुनियाभर के लोग गेम्स खेल रहे होते हैं. वह यह सब चीजें देखता और सीखता है. यह उसकी डिजिटल डाइट है.
इंटरनेट से तमाम चीजें कंज्यूम कर रहे बच्चे
साइबर क्राइम एक्सपर्ट रक्षित टंडन ने बताया कि जिस तरह से हम अपने बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए बैलेंस डाइट का ध्यान रखते हैं. बच्चों को पोषण वाली बैलेंस डाइट देते हैं, क्योंकि जब बच्चा गलती से कुछ बाहर की चीज खा लेता है तो उसका पेट खराब हो जाता है. बच्चे को दवा खानी पड़ती है. ऐसे में मेरा बच्चा इंटरनेट चलाता है. वह वहां से तमाम अलग-अलग तरह की चीजें कंज्यूम कर लेता है तो वह उसके दिमाग पर असर करता है. उसकी मेंटल हेल्थ पर असर करता है. यह कोई देखने वाला नहीं है कि मेरा बच्चा जो कंज्यूम कर रहा है, वो कंटेट उसके लिए सही है या गलत है. जैसे हर गेम के नीचे लिखा होता है, उम्र. 16 या 17 है. ऐसे में माता-पिता को यह देखना चाहिए. इसके नतीजे भी आपने देखे होंगे. उदाहरण के तौर पर जैसे बच्चे ने ऑनलाइन गेम में मोबाइल से माता-पिता के 40 हजार रुपये गंवा दिए. कहीं बच्चा 10 लाख रुपये गेम में हार गया हो. यह गेम बच्चों की मानसिकता पर असर कर रहे हैं.