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TDP के 40 साल: राजनीति में स्थापित किए नए ट्रेंड

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Published : Mar 29, 2022, 10:54 AM IST

तेलुगु देशम पार्टी आज अपनी 40वीं वर्षगांठ मना रही है. इसके साथ ही कहा जा रहा है कि महान अभिनेता ने इसकी बुनियाद रखी थी और चंद्रबाबू नायडू ने इसे विकास के चरम तक पहुंचाया और प्रदेश को साइबर सिटी के रूप में स्थापित भी किया.

तेदेपा चंद्रबाबू नायडू
तेदेपा चंद्रबाबू नायडू

हैदराबाद : तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) अपने स्थापना के आज पूरे किए 40 साल. साथ ही राजनीति में स्थापित किए नए ट्रेंड. आज से ठीक 40 साल पहले 29 मार्च, 1982 हैदराबाद में स्थित नए विधायक क्वार्टर में काफी लोग जमा हो गए थे. उन्हें नहीं पता था कि देश और राज्य के राजनीतिक पर्दे पर जो सनसनी और इतिहास बनने जा रहा है, उसके गवाह के तौर पर वह खड़े होने जा रहे हैं. उनकी उम्मीद के अनुसार महान अभिनेता एनटीआर वहां पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि उन्होंने एक सप्ताह पहले रामकृष्ण स्टूडियो में एक बैठक में अपने राजनीतिक प्रवेश पर गहन चिंतन किया था. इसे जारी रखने के लिए नए विधायक क्वार्टर में विधायक क्लब में कार्यकर्ताओं की एक बैठक आयोजित की गई थी. विधायक क्वार्टर परिसर एनटीआर प्रशंसकों से खचाखच भरा हुआ था, खासकर युवाओं से. उसमें 300 लोगों के साथ चार दीवारों के बीच बैठक होने वाली थी. उस समय सभा को लॉन में ले जाना था. वहां बोलते हुए, एनटीआर ने घोषणा की कि वह एक राजनीतिक पार्टी शुरू करने जा रहे हैं. किसी ने पार्टी का नाम पूछा. उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि.'मैं एक तेलुगु आदमी हूं और मेरी पार्टी मेरी तेलुगु देशम पार्टी है! ' तेलुगुदेसम, जो नाम से तो साधारण था परंतु एक सनसनी पैदा कर दी थी.

पार्टी की स्थापना के नौ महीने के भीतर: एनटीआर द्वारा शुरू की गई तेलुगु देशम पार्टी ने राज्य में एक नई तरह की राजनीति की शुरुआत की थी. जब एनटीआर ने 'तेलुगुदेसम पिलुस्तोंधी रा, कदलीरा .. (तेलुगु में उद्धृत)! (तेलुगुदेसम बुला रहा है आओ .. हटो ..!)' लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. लोगों को राजनीतिक दलों की बैठकों में ले जाने की संस्कृति के लिए खुला.. चैतन्य रथम पर एनटीआर लोगों के बीच चले गए. जहां गांव मिलता था वहीं जनसभा होती थी. वह चैतन्य रथम में सोते थे और सड़क किनारे ही स्नान करते थे. इस प्रकार एनटीआर ने एक नया चलन शुरू किया. कुछ ही दिनों में तेदेपा ने जीत हासिल की..अपनी स्थापना के नौ महीने के भीतर, 1983 के चुनावों में उसने एक ठोस जीत हासिल की. सत्ता में आने के तुरंत बाद पार्टी को पहला झटका लगा. अगस्त 1984 के संकट के दौरान एनटीआर की सरकार को बेदखल कर दिया गया था. संयुक्त राज्य अमेरिका में हार्ट सर्जरी कराने के बावजूद एनटीआर ने अपने स्वास्थ्य की परवाह किए बिना लोकतंत्र को बहाल करने के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया. करीब एक माह तक चले जन आंदोलन बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पद छोड़ दिया है. एनटीआर फिर से प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. एनटीआर शासन के दौरान 1983, 1985, 1989 और 1994 में विधान सभा चुनाव हुए और तेलुगु देशम ने तीन बार प्रचंड़ जीत हासिल की. तीन बार 200 से ज्यादा सीटें भी जीती थी.

कल्याणकारी योजनाएं:एनटीआर ने 2 रुपये में चावल, गरीबों के लिए पक्के मकान, 50 रुपये में बिजली, कृषि पंप सेट आदि जैसी कल्याणकारी योजनाओं की शुरूआत की. उन्होंने संपत्ति में महिलाओं के समान अधिकार, पटेल, उन्मूलन जैसे शासन सुधारों की शुरुआत की. पटवारी व्यवस्था, क्षेत्रीय परिषदों का गठन. 1994 के विधानसभा चुनावों में जबर्दस्त जीत के बाद पार्टी में आंतरिक विकास के कारण नेतृत्व में बदलाव आया. चंद्रबाबू नायडू ने 1 सितंबर 1995 को राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में पद की शपथ ली. पार्टी अध्यक्ष के रूप में भी चुने गए. 1999 के विधानसभा चुनाव में चंद्रबाबू ने 180 सीटें जीती और दूसरी बार मुख्यमंत्री बने. ऐसी स्थिति में जहां राज्य के विभाजन के बाद आंध्र प्रदेश की राजधानी भी नहीं है.

साल 2014 राज्य के लोगों ने चंद्रबाबू को सत्ता सौंपी वो भी तब जब राज्य गंभीर वित्तीय संकट के दौर से गुजर रहा था. चुनाव जीतने के बाद चंद्रबाबू तीसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. चंद्रबाबू ने मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला, तो उन्होंने विकास और सुधारों को तवज्जो दी. हैदराबाद आईटी और बायोटेक उद्योगों का हब बना. संयुक्त आंध्र प्रदेश में उनकी पहल पर कई इंजीनियरिंग कॉलेज खुले. जब उन्होंने राज्य के विभाजन के बाद आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला तब उन्होंने राजधानी अमरावती के निर्माण के लिए एक मास्टर प्लान तैयार किया और निर्माण कार्य भी शुरू किया था. पोलावरम परियोजना का निर्माण एक महत्वपूर्ण स्तर पर चला था. किआ, अपोलो टायर्स और एशियन पेंट्स जैसे औद्योगिक केंद्र भी खुले. कई मोबाइल फोन कंपनियों को तिरुपति लाया गया. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव लोकेश के नेतृत्व में टीडीपी कार्यकर्ताओं के हित में एक कार्यक्रम चला रही है. प्रत्येक कार्यकर्ता को 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा प्रदान किया गया. अब तक कुछ हादसों में घायल हुए 4,844 कार्यकर्ताओं के परिवारों को 96 करोड़ 88 लाख का बीमा मुआवजा दिया गया है. कार्यकर्ताओं के बच्चों की शिक्षा के लिए 2.35 करोड़ की आर्थिक सहायता भी दी गई.

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