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Jamshedji Nusserwanji Tata 184th Birth Anniversary: औद्योगिक क्रांति के नायक जमशेदजी नसरवान जी टाटा की जयंती, पूरा जमशेदपुर कर रहा नमन

भारत की आजादी से पूर्व इस्पात उद्योग में औद्योगिक क्रांति लाने वाले जमशेदजी नसरवान जी टाटा के सपनों का शहर जमशेदपुर आज संस्थापक दिवस मना रहा है. हर साल 3 मार्च को जेएन टाटा की जयंती के मौके पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए जाते हैं.

Tata Steel and Jamshedpur Foundation Day celebration in Jharkhand
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Published : Mar 3, 2023, 9:26 AM IST

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जमशेदपुरः इस साल 3 मार्च को पूरा जमशेदपुर और टाटा उद्योग घराना जमशेदजी नसरवानजी टाटा की 184वीं जयंती मना रहा है. जिसको लेकर जमशेदजी के सपनों के शहर जमशेदपुर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है. वहीं जयंती की पूर्व संध्या पर टाटा ग्रुप के वाइस चेयरमैन नोबेल एन टाटा ने जमशेदपुर के जुबली पार्क में विद्युत सज्जा का उद्घाटन किया. साथ ही पार्क में स्थित जेएन टाटा की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया.

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जमशेदजी नसरवान जी टाटा के बसाए शहर जमशेदपुर ने 102 साल पूरे कर चुके हैं. 100 साल पहले कालीमाटी को जमशेदपुर बनाने वाले जमशेदजी का शहर अपनी शताब्दी वर्ष के सफर को पार कर आगे बढ़ गया है. जमशेदपुर में संस्थापक दिवस की पूर्व संध्या यानी गुरुवार शाम को टाटा ग्रुप के वाइस चेयरमैन नोबेल एन टाटा ने जमशेदपुर के जुबली पार्क में लगाए गए विद्युत सज्जा का उद्घाटन किया.

जमशेदपुर शहर और टाटा स्टील के संस्थापक जमशेदजी नसरवानजी टाटा की 184वीं जयंती की पूर्व संध्या पर बिष्टुपुर के जुबली पार्क में आकर्षक विद्युत सज्जा की गई है. इसके उद्घाटन के बाद टाटा घराने के लोगों ने मिलकर पार्क में स्थित जेएन टाटा की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें याद किया और नमन किया. इस मौके पर नावेल एन टाटा ने कहा कि टाटा स्टील और जमशेदपुर टाटा ग्रुप के लिए ये एक इतिहास है, आज का दिन हमारे लिए किसी ऐतिहासिक गौरव से कम नहीं है. इस मौके पर जुबली पार्क में टाटा ग्रुप के वाइस चेयरमैन के साथ टाटा स्टील के सीईओ सह एमडी टीवी नरेंद्रन, रुचि नरेंद्रन के साथ साथ जुस्को के एमडी के अलावा टाटा ग्रुप के कई आलाधिकारी मौजूद रहे.

इस्पात उद्योग में औद्योगिक क्रांति के नायक जमशेदजी नसरवान जी टाटा ने कालामाटी को जमशेदपुर बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाई. आज से 100 साल पहले कालीमाटी आज का जमशेदपुर एक नयी पहचान रखता है. यह शहर सिर्फ झारखंड ही नहीं बल्कि विश्व पटल पर अपनी गहरी साख रखता है. जमशेदजी के सपनों के इस शहर ने विकास और उन्नति के नित-नए आयाम गढ़े और सौ साल के इस सफर में कई मिसाल कायम किए हैं.

कालामाटी से जमशेदपुर बनने का सफरः मध्यम वर्गीय साधारण परिवार में जन्मे जमशेदजी नसरवान जी टाटा व्यक्तित्व के काफी धनी रहे. लोहे से मजबूत इरादों के साथ जमशेदजी नसरवानजी टाटा ने 1907 में भारत में इस्पात उद्योग के क्षेत्र में औद्योगिक क्रांति की नींव रखी. इसके लिए उन्होंने छोटानागपुर की धरती को चुना. कालामाटी के साकची नाम के इस एक छोटे से गांव में इस्पात उद्योग शुरुआत की थी. उस वक्त साकची गांव में लोगों की संख्या महज सैकड़ों में ही थी. लेकिन आज ये गांव कालामाटी के नाम से नहीं बल्कि जमशेदपुर के नाम से जाना जाता है. साल दर साल लगातार नए-नए रंगों से शहर की खूबसूरती और ज्यादा निखरती रही, स्टील सिटी, ग्रीन सिटी और क्लीन सिटी इस शहर के संस्कार में रचा बसा है.

जमशेदपुर- जानें किस साल क्या हुआ

कैसे हुआ पड़ा जमशेदपुर का नामः सन 1919, 2 जनवरी को भारत के दूसरे वायसराय चेम्सफोर्ड अपनी टीम के साथ कालीमाटी स्टेशन उतरे थे. यहां आने का उनका मकसद टाटा इस्पात कारखाना को देखना था, वो फैक्ट्री देखने के लिए साकची आए थे. उस दौर में टाटा स्टील का नाम टाटा कंपनी हुआ करता था. यहां वायसराय चेम्सफोर्ड ने अपने संबोधन में कहा कि मैं टाटा कंपनी से काफी प्रभावित हूं और आज से साकची की पहचान टाटा के संस्थापक जमशेदजी टाटा के नाम से होगी. इस तरह 2 जनवरी 1919 को साकची का नाम जमशेदपुर हो गया और कालीमाटी स्टेशन का नाम बदलकर टाटानगर रेलवे स्टेशन कर दिया गया.

जमशेदपुर- जानें किस साल क्या हुआ

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