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यादें : कठिन समय में भी पीछे नहीं हटे गोगोई, ऐसे किया था असम का नेतृत्व

तीन बार असम के मुख्यमंत्री रहे तरुण गोगोई ने न केवल उग्रवाद के कुछ सबसे काले दिनों के दौरान सफलतापूर्वक असम का नेतृत्व किया, बल्कि कई राजकोषीय सुधारों की शुरुआत की, जो आर्थिक विकास के लिए मार्ग प्रशस्त करते हैं, जिसका लाभ अभी भी मिल रहा है.

Tarun Gogoi
तरुण गोगोई

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Published : Nov 24, 2020, 7:09 PM IST

नई दिल्ली : एक सच्चे कांग्रेसी और गांधीवादी दर्शन में विश्वास रखने वाले तरूण गोगोई ने असम में 2001 में सबसे ज्यादा बार कांग्रेस पार्टी की कमान संभाली और पार्टी को जीत दिलाई. 1996 में विधानसभा की कुल 126 सीटों में से केवल 34 सीटों तक सीमित रहने वाली पार्टी, गोगोई के दूरदर्शी नेतृत्व के कारण 71 सीटें हासिल कर सकी और 2001 में सरकार बनाई.

गोगोई असम की राजनीति में 2001 तक बहुत चर्चित चेहरा नहीं थे. 2001 से 2016 तक तीन बार असम के मुख्यमंत्री रहे तरूण गोगोई का जन्म एक अप्रैल 1936 को असम के जोरहाट जिले के रंगाजन टी एस्टेट में हुआ था. उनके पिता डॉ. कमलेश्वर गोगोई रंगाजन टी एस्टेट में डॉक्टर थे. वहीं उनकी माता ऊषा गोगोई कवयित्री थीं. उनके माता-पिता उन्हें प्यार से पुनाकोन कहा करते थे.

गोगोई ने गुवाहाटी विश्वविद्यालय से एलएलबी पूरी की और एक वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया. वे 1971 में जोरहाट लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए और 1976 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के संयुक्त सचिव बने.

गोगोई ने 1986 तक अगले दो कार्यकालों के लिए लोक सभा सीटें बरकरार रखीं और 1985 में AICC महासचिव बनने के लिए पार्टी के रैंकों में भी वृद्धि की. एक मुखर सांसद और गांधीवादी के साथ करीबी के रूप में जानें जाने वाले गोगोई को उनके लिए AICC में अलग-अलग प्रभार दिए गए थे. दूरदर्शी नेतृत्व के चलते गोगोई को असम के एक क्षेत्रीय राजनीतिक नेता की तरह देखा जाता था. 1991 में गोगोई को तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने खाद्य और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री के रूप में अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया था.

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