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गुलमर्ग, सोनमर्ग में भूमि को रणनीतिक क्षेत्र घोषित करने के निर्णय की समीक्षा करे सरकार : तारिगामी

गुलमर्ग और सोनमर्ग पर्यटन स्थलों में लगभग 70 हेक्टेयर भूमि को 'रणनीतिक क्षेत्र' (strategic areas) घोषित किया गया है. सीपीआई (एम) नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी (Yousuf Tarigami) का कहना है कि सरकार को इस निर्णय की समीक्षा करनी चाहिए.

Yousuf Tarigami  (Photo: ETV Bharat)
सीपीआई (एम) नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी (फोटो-ईटीवी भारत)

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Published : Jan 7, 2022, 3:33 PM IST

श्रीनगर : सरकार ने जम्मू कश्मीर में घाटी के गुलमर्ग और सोनमर्ग पर्यटन स्थलों में लगभग 70 हेक्टेयर भूमि को 'रणनीतिक क्षेत्र' (strategic areas) घोषित किया है, जिससे सशस्त्र बलों के लिए इन भूमि को अपने नियंत्रण में करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है.

इसे लेकर सीपीआई (एम) नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी (Yousuf Tarigami) का कहना है कि जम्मू-कश्मीर सरकार को गुलमर्ग, सोनमर्ग में 1034 कनाल भूमि को 'रणनीतिक क्षेत्रों' के रूप में घोषित करने के निर्णय की समीक्षा करनी चाहिए.

दरअसल जम्मू कश्मीर के पर्यटन विभाग की ओर से 31 दिसंबर 2021 को जम्मू में जारी एक आदेश के अनुसार, बारामूला जिले के प्रसिद्ध स्की रिसॉर्ट गुलमर्ग में करीब 52 हेक्टेयर और गांदरबल जिले के अन्य प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सोनमर्ग में करीब 18 हेक्टेयर जमीन को 'रणनीतिक क्षेत्र' घोषित किया गया है जिसका इस्तेमाल क्षेत्र में सशस्त्र बल कर सकेंगे.

हालांकि तारिगामी का कहना है कि ऐसे उद्देश्यों के लिए सेना के पास पहले से ही बहुत सारे क्षेत्र हैं. पहलगाम के साथ गुलमर्ग और सोनमर्ग घाटी के तीन सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं, जिन्हें पर्यटन उद्देश्यों के लिए बढ़ावा देने की आवश्यकता है.

उनका कहना है कि समय की मांग है कि कश्मीर में पर्यटन के बुनियादी ढांचे को विकसित किया जाए जो बड़ी संख्या में बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार पैदा कर सके.

तारिगामी ने कहा कि 'सरकार द्वारा तथाकथित अचल संपत्ति विकास रोजगार पैदा नहीं कर सकता है या आजीविका के अवसर पैदा नहीं कर सकता है, लेकिन केवल कॉर्पोरेट क्षेत्र को लाभ देने के लिए है. हमें उम्मीद है कि सरकार अपने फैसले की समीक्षा करेगी और गुलमर्ग, सोनमर्ग और में पर्यटन के विकास पर ध्यान केंद्रित करेगी.'

सेना लेगी अपने कब्जे में

गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अक्टूबर 2020 में एक शासकीय आदेश के माध्यम से जम्मू-कश्मीर विकास अधिनियम 1970 में संशोधन किया था जिसके बाद केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन की ओर से जारी की गई यह पहली अधिसूचना है.

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संशोधनों के अनुसार, सशस्त्र बल पारिस्थितिकीय रूप से नाजुक उन क्षेत्रों में भी बुनियादी ढांचे का विकास कर सकते हैं, जिन्हें सरकार द्वारा 'रणनीतिक क्षेत्र' घोषित किया गया है. आदेश में कहा गया है कि कोर कमांडर पर्यावरण संबंधी किसी भी खतरे को रोकने के लिए पर्यावरण से संबंधित कानूनों का कड़ाई से पालन करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में लागू किसी अन्य कानून का उल्लंघन न हो.

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