श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों के द्वारा की जा रही टारगेट किलिंग के चलते घाटी से कश्मीरी पंडितों और हिंदुओं ने पलायन करना शुरू कर दिया है. गुरुवार को ही एक बैंक मैनेजर के अलावा दो गैर स्थानीय मजदूरों पर हमला किया गया था, जिसमें बैंक मैनेजर व एक मजदूर की मौत हो गई थी. लगातार हो रही हत्याओं की वजह से कई कश्मीरी पंडितों के परिवार जम्मू चले गए.
टॉरगेट किलिंग के बाद पंडितों का पलायन बता दें कि आतंकवादियों ने बडगाम के चदूरा इलाके के ईंट भट्ठे में काम करने वाले दो गैर स्थानीय मजदूरों पर गोलियां चला दी थीं. इसमें एक मजदूर की मौत हो गई थी जबकि दूसरा घायल है. मृतक मजदूर की पहचान बिहार के दिलखुश के रूप में हुई है.
टारगेट किलिंग के चलते घाटी में माहौल बेहद तनावपूर्ण है. दहशतगर्दों ने एक बार फिर कश्मीर को 90 के दशक में वापस ढकेल दिया है. वहां 26 दिनों में 10 हत्याएं हुई हैं. इसके बाद से कश्मीरी हिंदुओं में इस बात का डर है कि पता नहीं, कौन, कब, कहां से गोली मार दे. हालांकि कई आतंकी मारे भी जा चुके हैं, लेकिन बावजूद इसके टारगेट किलिंग का सिलसिला जारी है. आतंकवादी सरकारी कर्मचारी, प्रवासी मजदूर, टीवी आर्टिस्ट, बैंक मैनेजर को अपना निशाना बना रहे हैं. पीएम पैकेज के तहत घाटी में काम करने वाले एक कर्मचारी ने कहा कि स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. 4 हत्याएं फिर हुई हैं. 30-40 परिवार शहर छोड़कर जा चुके हैं.
ईंट भट्ठे पर काम करने वाले मजदूर को मारी गई थी गोली विरोध प्रदर्शन जारी
इस बीच कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा लक्षित हत्याओं से नाराज सरकारी कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन जारी है. उन्होंने कश्मीर से अपने गृह जिलों में स्थानांतरित करने की मांग को लेकर प्रदर्शन जारी रखा है. प्रदर्शनकारियों में ज्यादातर शिक्षक शामिल हैं. वे मंगलवार को दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के एक स्कूल में अपनी सहयोगी रजनी बाला की आतंकवादियों द्वारा गोली मारकर हत्या करने के बाद जम्मू लौट आए हैं.
'जम्मू आधारित रिजर्व श्रेणी कर्मचारी संघ' के बैनर तले प्रदर्शनकारियों ने मार्च निकाला. शुक्रवार को शहर के बीचों-बीच पनामा चौक पर धरना दिया. धरने में शामिल सुरिंदर कुमार ने कहा, "हम लक्षित हत्याओं के मद्देनजर मौजूदा खतरनाक परिस्थितियों में अपने कार्यों को फिर से शुरू करने के लिए कश्मीर नहीं लौटेंगे. हम वापस जाने के बजाय यहां मरना पसंद करेंगे." प्रदर्शनकारियों ने सरकार से उनके विरोध पर ध्यान देने और कश्मीर से जम्मू क्षेत्र में उनका स्थानांतरण सुनिश्चित करने का आग्रह किया.
कुमार ने कहा कि वह पहले ही 15 साल से कश्मीर में अपनी सेवाएं दे रहे हैं और "आतंकवादियों के हाथों मारे जाने के लिए घाटी में लौटने को तैयार नहीं हैं." वहीं, एक महिला प्रदर्शनकारी ने कहा, "कश्मीर में सुरक्षित क्षेत्र कहां हैं ? हमें बाहर जाना होगा, बच्चों को स्थानीय स्कूलों में डालना होगा और अपने कर्तव्यों का पालना करना होगा." उन्होंने कहा कि वह पिछले एक दशक से कश्मीर में स्थानीय आबादी के साथ हंसी-खुशी रह रही थीं, लेकिन हाल के महीनों में हुई लक्षित हत्याओं ने उनके दिलोदिमाग में डर पैदा कर दिया है.
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कश्मीर घाटी में टारगेट किलिंग की प्लानिंग पिछले साल पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद में रची गई थी. इस दौरान 200 लोगों की सूची तैयार की गई थी जिनकी हत्या की जानी थी. इस दौरान पाकिस्तान के आईएसआई के अफसर और आतंकी संगठनों के नेता मौजूद थे.
ग्रैंड मुफ्ती नासिर बोले- कश्मीरी पंडितों को नहीं जाना चाहिए :कश्मीर के ग्रैंड मुफ्ती नासिर-उल-इस्लाम ने घाटी में हाल ही में हुई हत्याओं पर कहा है कि 'उन्हें (कश्मीरी पंडितों) को नहीं जाना चाहिए, उन्हें यहां रहना चाहिए. हम पिछले 30 वर्षों से उनकी वापसी के बारे में सोच रहे थे. अब वे लौट आए हैं और उन्हें शांति और सम्मान के साथ हमारे साथ रहना चाहिए.