चेन्नई: तमिलनाडु सरकार ने राष्ट्रीय निकास परीक्षा (एनईएक्सटी) का मंगलवार को कड़ा विरोध किया. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार से कहा कि इससे विद्यार्थियों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा और यह स्वास्थ्य क्षेत्र में राज्य सरकारों और विश्वविद्यालयों की भूमिका को कम करने की एक और कोशिश है. राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) अधिनियम के मुताबिक, एमबीबीएस के अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों के लिए एनईएक्सटी इम्तिहान साझा योग्यता परीक्षा के तौर पर होगा.
साथ में यह आधुनिक चिकित्सा पद्धति की प्रैक्टिस करने के लिए लाइसेंस परीक्षा और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए योग्यता आधारित परीक्षा एवं विदेश से पढ़कर आए और भारत में प्रैक्टिस करने की मंशा रखने वालों के लिए स्क्रीनिंग परीक्षा का काम करेगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु सरकार स्नातक और स्नातकोत्तर के लिए मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के वास्ते किसी भी रूप में नीट (राष्ट्रीय प्रवेश-सह-पात्रता परीक्षा) और एनईएक्सटी की शुरूआत का लगातार विरोध करती रही है.
मुख्यमंत्री ने मोदी से कहा कि एनएमसी अधिनियम के तहत नीट आधारित मेडिकल प्रवेश प्रणाली ने पहले ही समान, स्कूली शिक्षा आधारित चयन प्रक्रिया और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने में इसके योगदान पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है. उन्होंने कहा कि इस मोड़ पर, एनईएक्सटी की प्रस्तावित शुरूआत निश्चित रूप से इस प्रवृत्ति को बढ़ाएगी और ग्रामीण और सामाजिक रूप से पिछड़े विद्यार्थियों और राज्य सरकारों के तहत आने वाले सरकारी संस्थानों के हितों के लिए एक अपूरणीय क्षति का कारण बनेगी.