कोयंबटूर :पूर्ववर्ती चेरन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (सीटीसी) के एक पूर्व अधिकारी को शुक्रवार को 383 साल की जेल की सजा सुनाई. हालांकि, आरोपी को सात साल ही जेल में बिताना होगा. 32 साल बाद क्षतिग्रस्त बसों की नीलामी के दौरान धन के दुरुपयोग के मामले में यह सजा सुनाई गई है. दोषी व्यक्ति के ऊपर 3.32 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. प्रथम अतिरिक्त अधीनस्थ अदालत के न्यायाधीश पीके शिवकुमार ने सीटीसी के परिवहन विभाग में सहायक के रूप में काम करने वाले पी कोठंडापानी (82) को सजा सुनाई.
सूत्रों के अनुसार, कोठंडापानी और सात अन्य पर आरएस पुरम पुलिस ने 1990 में नवंबर 1986 और 9 नवंबर, 1988 के बीच सीटीसी की खराब हो चुकी बसों की नीलामी में 28 लाख रुपये के गबन का मामला दर्ज किया था. यह एक ऑडिट के दौरान सामने आया था. जिसके बाद तत्कालीन सीटीसी के महाप्रबंधक ने शिकायत दर्ज करायी थी.
एफआईआर के मुताबिक, आरोपियों ने नीलामी में जीते लोगों को 14 बसें बिना पूरा भुगतान किये दे दिया. जबकि 44 बसों को आंशिक भुगतान के बाद ही बेच दिया गया. सीबी-सीआईडी ने मामले की जांच की और दिसंबर 1990 में आठ व्यक्तियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया. केस चलने के दौरान इनमें से चार व्यक्तियों की मृत्यु हो गई.