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तमिलनाडु: गबन मामले में 32 साल बाद पूर्व कर्मचारी को 383 साल की जेल - jail term

धोखाधड़ी के मामले में पूर्व सरकारी परिवहन निगम कर्मचारी को कोर्ट ने 383 साल जेल की सजा सुनाई. प्रथम अतिरिक्त अधीनस्थ अदालत 32 साल पुराने एक मामले की सुनवाई कर रही थी. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jul 29, 2023, 2:01 PM IST

कोयंबटूर :पूर्ववर्ती चेरन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (सीटीसी) के एक पूर्व अधिकारी को शुक्रवार को 383 साल की जेल की सजा सुनाई. हालांकि, आरोपी को सात साल ही जेल में बिताना होगा. 32 साल बाद क्षतिग्रस्त बसों की नीलामी के दौरान धन के दुरुपयोग के मामले में यह सजा सुनाई गई है. दोषी व्यक्ति के ऊपर 3.32 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. प्रथम अतिरिक्त अधीनस्थ अदालत के न्यायाधीश पीके शिवकुमार ने सीटीसी के परिवहन विभाग में सहायक के रूप में काम करने वाले पी कोठंडापानी (82) को सजा सुनाई.

सूत्रों के अनुसार, कोठंडापानी और सात अन्य पर आरएस पुरम पुलिस ने 1990 में नवंबर 1986 और 9 नवंबर, 1988 के बीच सीटीसी की खराब हो चुकी बसों की नीलामी में 28 लाख रुपये के गबन का मामला दर्ज किया था. यह एक ऑडिट के दौरान सामने आया था. जिसके बाद तत्कालीन सीटीसी के महाप्रबंधक ने शिकायत दर्ज करायी थी.

एफआईआर के मुताबिक, आरोपियों ने नीलामी में जीते लोगों को 14 बसें बिना पूरा भुगतान किये दे दिया. जबकि 44 बसों को आंशिक भुगतान के बाद ही बेच दिया गया. सीबी-सीआईडी ने मामले की जांच की और दिसंबर 1990 में आठ व्यक्तियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया. केस चलने के दौरान इनमें से चार व्यक्तियों की मृत्यु हो गई.

दोषी साबित हुए गोतंदपानी, नागराजन, मुरुगनाथन और दुरईसामी सजा सुनाये जाने के दौरान अदालत में मौजूद थे. जज शिवकुमार ने गोतंदापानी को छोड़कर बाकी 3 लोगों को रिहा कर दिया. जज ने अपने फैसले में कहा कि गोडंडापानी के खिलाफ 3 धाराओं के तहत आरोप साबित हुए हैं. जज के कहा कि वह अमानत में खयानत की धारा के तहत 47 अपराधों के लिए 4-4 साल (कुल 188 साल) सजा के दोषी हैं. इसके साथ ही जालसाजी की धारा के तहत 47 अपराधों के लिए भी 4-4 साल ( कुल 188 साल) और सरकारी संपत्ति के गबन के लिए 7 साल की सजा के काबिल हैं. इस तरह जज ने उन्हें कुल 383 साल की सजा सुनाई.

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हालांकि, न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी की उम्र को देखते सभी मामलों में सजा एक साथ दी जाये. इस तरह से गोडंडापानी को अधिकतम 7 साल जेल में रहना होगा. न्यायाधीश ने यह भी आदेश दिया कि यदि अपराधी को 3.32 करोड़ रुपये का जुर्माना भी चुकाना होगा. जुर्माना राशि कोयंबटूर राज्य परिवहन निगम को दी जाएगी. कोयम्बटूर के प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायालय के न्यायाधीश ने आदेश दिया कि जुर्माना न देने की स्थिति में उन्हें 1 वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी.

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