नई दिल्ली :तमिलनाडु में नीट परीक्षा को लेकर सियासी घमासान तेज है. तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि जहां स्नातक चिकित्सा कार्यक्रमों के लिए राष्ट्रीय प्रवेश सह पात्रता परीक्षा (एनईईटी) को उचित ठहरा रहे हैं. वहीं, मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इसके खिलाफ जमकर हमला बोला है. स्टालिन ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर तमिलनाडु के नीट रोधी विधेयक को जल्द से जल्द मंजूरी देने की अपील की है.
तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री सुब्रमण्यम का भी कहना है कि गवर्नर का नीट विरोधी विधेयक से कोई लेना-देना नहीं है और यह विधेयक अनुमोदन के लिए भारत के राष्ट्रपति के पास भेजा गया था. दरअसल इस मामले ने हाल में एक छात्र के खुदकुशी करने के बाद ज्यादा तूल पकड़ा है. इस मौत के साथ, तमिलनाडु में एनईईटी को लेकर छात्रों की आत्महत्या के कारण मरने वालों की संख्या बढ़कर 16 हो गई है.
चेन्नई के छात्र ने की थी खुदकुशी :बीते दिनों जगदीश्वरन नाम के 19 वर्षीय युवक ने खुदकुशी कर ली थी. वह नीट की तैयारी के लिए कोचिंग कर रहा था. बार-बार असफल होने का सदमा बर्दाश्त नहीं कर सका और छात्र ने शनिवार को चेन्नई के क्रोमपेट स्थित आवास पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. बेटे के गम में पिता ने भी जान दे दी. इसके बाद सीएम स्टालिन ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि नीट परीक्षा को हटाया जा सकता है. राज्य सरकार नीट पर प्रतिबंध लगाने की बाधाओं को दूर करने की दिशा में कानूनी कदम उठा रही है. साथ ही उन्होंने छात्रों से दबाव में आकर ऐसा कदम नहीं उठाने की अपील की थी.
एनईईटी विरोधी विधेयक :दरअसल जून 2021 में स्टालिन की सरकार ने यह जांचने के लिए न्यायमूर्ति एके राजन समिति की नियुक्ति की कि क्या NEET मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए उम्मीदवारों का चयन करने का एक न्यायसंगत तरीका है. समिति ने उस वर्ष सितंबर में अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें एनईईटी की आलोचना की थी.
समिति की रिपोर्ट में क्या :समिति ने कहा था कि इसने सामाजिक विविधता को कमजोर किया है और चिकित्सा शिक्षा में समृद्ध लोगों का पक्ष लिया है. इसके साथ ही समिति ने उपयुक्त कानून पारित करके इसे खत्म करने के लिए तत्काल कदम उठाने की सिफारिश की थी.
समिति की रिपोर्ट में कहा गया था कि 'तमिलनाडु में मेडिकल प्रवेश पर एनईईटी का प्रभाव' है. इस परीक्षा ने कोचिंग करने वाले छात्रों को असमान रूप से लाभान्वित किया है और पहली बार आवेदन करने वालों के साथ भेदभाव किया है. इसी वजह से NEET की शुरुआत के बाद अरियालुर और पेरम्बलुर जैसे पिछड़े जिलों में सीट हिस्सेदारी में 50% की गिरावट और चेन्नई जैसे शहरी केंद्रों से प्रतिनिधित्व में वृद्धि देखी गई है.