चेन्नई : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) सरकार हिंदी भाषा का विरोधी नहीं है, बल्कि इस भाषा को लोगों पर थोपने के सख्त खिलाफ है. द्रविड़ मॉडल सरकार भाजपा की 'एक राष्ट्र, एक भाषा' के पीछे छिपे मंसूबों को उजागर करती आई है, जो न केवल तमिल बल्कि अन्य राज्यों की सभी भाषाओं के लिए हानिकारक है. उन्होंने आगे कहा, "हमारी सरकार ने राज्य को विकास के पथ पर आगे बढ़ाया. हालांकि, हमारे सामने कर्ज का बोझ, वित्तीय संकट के अलावा हमें केंद्र सरकार के भेदभावपूर्ण वित्तीय आवंटन के साथ प्रशासनिक अव्यवस्था विरासत में मिली, लेकिन महिलाओं के मानदेय और उनके सशक्तिकरण पर हमने पूरा ध्यान दिया. मुख्यमंत्री स्टालिन ने शनिवार को ईटीवी भारत से एक विशेष साक्षात्कार में ये बातें कही.
सवाल : आप विभिन्न कल्याणकारी कार्यक्रम लागू कर रहे हैं. चाहे वह सुबह के नाश्ते की योजना हो या महिलाओं के लिए मानदेय, जिसमें भारी वित्तीय बोझ शामिल है. उन्हें पूरा करने में आपको किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा है?
जवाब :द्रविड़ मॉडल सरकार के कल्याणकारी कार्यक्रमों में महिलाओं के लिए सम्मान राशि योजना सबसे महत्वपूर्ण है. इसके अलावा कई योजनाएं हैं, जिनका उद्देश्य न केवल महिलाओं की रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करना है, बल्कि भविष्य के विकास की नींव को मजबूत करना भी है. इसलिए, चाहे जो भी चुनौतियां हों, द्रविड़ मॉडल सरकार उन्हें लागू करने से पीछे नहीं हटती है. पिछले कुछ वर्षों में हमने कर्ज के बोझ, वित्तीय घाटे और प्रशासनिक अव्यवस्था को भी नियंत्रण में लाया है. भले ही हम अभी तक केंद्र सरकार के भेदभावपूर्ण वित्तीय आवंटन से पूरी तरह मुक्त नहीं हो पाए हैं, लेकिन हम राज्य को विकास के रास्ते पर ले गए हैं. अब, पूरा देश अग्रणी योजनाओं और चुनावी वादों को लागू करने के वाले तमिलनाडु की ओर देख रहा है.
सवाल : हिंदुत्व की घेराबंदी को तोड़ने के लिए INDIA की क्या रणनीति है, जो उत्तर भारत में काफी मजबूत है?
जवाब : भाजपा के पास सांप्रदायिकता के अलावा कोई अन्य विचारधारा नहीं है. यह अपने कार्य प्रदर्शन के जरिये वोट मांगने में असमर्थ है और इसलिए नफरत की राजनीति पर निर्भर है. वहीं, INDIA की ताकत धार्मिक सद्भावना है. हम संवैधानिक सिद्धांतों और बहुलवादी राज्यों के अधिकारों में विश्वास रखते हैं तथा लोगों के सामने आने वाले बुनियादी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं. ऐसे में, INDIA की रणनीति चुनावी मैदान में भाजपा की सांप्रदायिक राजनीति का विरोध करने वाली सभी लोकतांत्रिक ताकतों को एकजुट कर भारी जनादेश के साथ चुनाव जीतना है. इतना ही नहीं, जीत की संभावनाओं के आधार पर सहयोगियों के बीच समायोजन सुनिश्चित करना भी है. आपने देखा होगा कि हाल के उपचुनावों और कर्नाटक विधानसभा चुनाव ने कैसे साबित कर दिया है कि जीत संभव है.
सवाल : क्या द्रमुक राष्ट्रीय राजनीति में मजबूत पकड़ बनाने का प्रयास कर रही है? आपके भाषण हिन्दी में इस प्रकार प्रकाशित हो रहे हैं जैसे पहले कभी नहीं हुए. क्या आपने कभी सोचा है प्रधानमंत्री बनने का?
जवाब : द्रमुक पहले से ही राष्ट्रीय राजनीति में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है. आज यह 40 साल से अधिक समय तक अपनी छाप छोड़ते हुए इस शिखर पर पहुंच गई है. यह कलैग्नार (एम करुणानिधि) ही थे, जिन्होंने बैंक राष्ट्रीयकरण सहित दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के प्रगतिशील उपायों का समर्थन कर राष्ट्रीय राजनीति में पार्टी की छाप छोड़ी थी. आपातकाल के दौरान, उन्होंने लोकतांत्रिक आवाज का नेतृत्व किया और उत्तर भारत के नेताओं को तमिलनाडु में लोकतांत्रिक हवा में सांस लेने का मौका दिया, जो किसी अन्य राज्य ने नहीं किया था.
सामाजिक न्याय के समर्थक वीपी सिंह की राष्ट्रीय मोर्चा सरकार की रीढ़ थी द्रमुक. इसने पिछड़े वर्गों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण को लागू कर पूरे देश में सामाजिक न्याय की लौ जलायी. न्यूनतम साझा कार्यक्रम के साथ, इसने वाजपेयी सरकार का समर्थन किया, जिससे यह माना गया कि जब द्रमुक होगी तो सांप्रदायिकता के लिए कोई जगह नहीं होगी. यह द्रमुक ही थी जिसने सुनिश्चित किया कि गठबंधन सरकार अपना पूरा कार्यकाल चला सके और संघ में राजनीतिक स्थिरता आए.
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की दो संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकारों में द्रमुक एक महत्वपूर्ण भागीदार रह चुका है. राष्ट्रपति चुनावों में द्रमुक का रुख सफल साबित हुआ और उसने राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया. आज की राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए, द्रमुक सोशल मीडिया सहित कई प्लेटफार्म से INDIA के गतिविधियों में योगदान दे रही है. हमारे नेता कलैग्नार ने कहा था, "मैं अपनी ऊंचाई जानता हूं" और एमके स्टालिन भी अपनी ऊंचाई को अच्छी तरह से जानते हैं.
सवाल : केंद्र सरकार हर नए विधेयक का नाम हिंदी में रख रही है. यहां तक कि पिछले कानूनों का नाम भी हिंदी में बदल दिया गया. हिंदी आधिपत्य के विरोध के लिए जानी जाने वाली द्रमुक और तमिलनाडु की प्रतिक्रिया क्या होगी?
जवाब : द्रमुक सांसदों ने इस मुद्दे को संसद के दोनों सदनों में उठाया है. उन्होंने हिंदी पर अपना विरोध भी दर्ज कराया है. द्रमुक लगातार भाजपा की 'एक राष्ट्र, एक भाषा' के पीछे छिपे मंसूबों को उजागर करती आई है, जो न केवल तमिल बल्कि अन्य राज्यों की सभी भाषाओं के लिए हानिकारक है. अन्य राज्यों में भी इस पर जागरूकता फैलाई जा रही है. हम किसी भी भाषा के विरोधी नहीं हैं. लेकिन, हम किसी भी भाषा को थोपे जाने के सख्त खिलाफ हैं और यह जारी रहेगा. संसदीय चुनाव के बाद नई सरकार सभी भाषाओं को समान दर्जा और महत्व देगी.
सवाल : वाशिंगटन पोस्ट ने भाजपा द्वारा चुनाव प्रचार के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का दुरुपयोग करने पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है. क्या यह महज डिजिटल मीडिया के इस्तेमाल की रणनीति है या सत्ता का दुरुपयोग? आपका क्या विचार है?