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Exclusive: ईटीवी भारत से बोले स्टालिन, हिंदी की विरोधी नहीं द्रविड़ मॉडल सरकार, भाषा थोपने के सख्त खिलाफ

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन से ईटीवी भारत ने तमाम मुद्दों पर खास बातचीत की. जिस पर उन्होंने राय रखी. उन्होंने राष्ट्र भाषा हिंदी, पीएम मोदी, कावेरी जल विवाद समेत INDIA गठबंधन पर चर्चा की. पेश है ईटीवी भारत को दिये इंटरव्यू के अंश... DMK Model Government, DMK anti hindi, etv bharat stalin interview, anti neet bill, tamil nadu cauvery issue

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 28, 2023, 8:06 PM IST

Updated : Oct 31, 2023, 7:03 PM IST

चेन्नई : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) सरकार हिंदी भाषा का विरोधी नहीं है, बल्कि इस भाषा को लोगों पर थोपने के सख्त खिलाफ है. द्रविड़ मॉडल सरकार भाजपा की 'एक राष्ट्र, एक भाषा' के पीछे छिपे मंसूबों को उजागर करती आई है, जो न केवल तमिल बल्कि अन्य राज्यों की सभी भाषाओं के लिए हानिकारक है. उन्होंने आगे कहा, "हमारी सरकार ने राज्य को विकास के पथ पर आगे बढ़ाया. हालांकि, हमारे सामने कर्ज का बोझ, वित्तीय संकट के अलावा हमें केंद्र सरकार के भेदभावपूर्ण वित्तीय आवंटन के साथ प्रशासनिक अव्यवस्था विरासत में मिली, लेकिन महिलाओं के मानदेय और उनके सशक्तिकरण पर हमने पूरा ध्यान दिया. मुख्यमंत्री स्टालिन ने शनिवार को ईटीवी भारत से एक विशेष साक्षात्कार में ये बातें कही.

सवाल : आप विभिन्न कल्याणकारी कार्यक्रम लागू कर रहे हैं. चाहे वह सुबह के नाश्ते की योजना हो या महिलाओं के लिए मानदेय, जिसमें भारी वित्तीय बोझ शामिल है. उन्हें पूरा करने में आपको किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा है?

तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन से खास बातचीत

जवाब :द्रविड़ मॉडल सरकार के कल्याणकारी कार्यक्रमों में महिलाओं के लिए सम्मान राशि योजना सबसे महत्वपूर्ण है. इसके अलावा कई योजनाएं हैं, जिनका उद्देश्य न केवल महिलाओं की रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करना है, बल्कि भविष्य के विकास की नींव को मजबूत करना भी है. इसलिए, चाहे जो भी चुनौतियां हों, द्रविड़ मॉडल सरकार उन्हें लागू करने से पीछे नहीं हटती है. पिछले कुछ वर्षों में हमने कर्ज के बोझ, वित्तीय घाटे और प्रशासनिक अव्यवस्था को भी नियंत्रण में लाया है. भले ही हम अभी तक केंद्र सरकार के भेदभावपूर्ण वित्तीय आवंटन से पूरी तरह मुक्त नहीं हो पाए हैं, लेकिन हम राज्य को विकास के रास्ते पर ले गए हैं. अब, पूरा देश अग्रणी योजनाओं और चुनावी वादों को लागू करने के वाले तमिलनाडु की ओर देख रहा है.

सवाल : हिंदुत्व की घेराबंदी को तोड़ने के लिए INDIA की क्या रणनीति है, जो उत्तर भारत में काफी मजबूत है?

जवाब : भाजपा के पास सांप्रदायिकता के अलावा कोई अन्य विचारधारा नहीं है. यह अपने कार्य प्रदर्शन के जरिये वोट मांगने में असमर्थ है और इसलिए नफरत की राजनीति पर निर्भर है. वहीं, INDIA की ताकत धार्मिक सद्भावना है. हम संवैधानिक सिद्धांतों और बहुलवादी राज्यों के अधिकारों में विश्वास रखते हैं तथा लोगों के सामने आने वाले बुनियादी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं. ऐसे में, INDIA की रणनीति चुनावी मैदान में भाजपा की सांप्रदायिक राजनीति का विरोध करने वाली सभी लोकतांत्रिक ताकतों को एकजुट कर भारी जनादेश के साथ चुनाव जीतना है. इतना ही नहीं, जीत की संभावनाओं के आधार पर सहयोगियों के बीच समायोजन सुनिश्चित करना भी है. आपने देखा होगा कि हाल के उपचुनावों और कर्नाटक विधानसभा चुनाव ने कैसे साबित कर दिया है कि जीत संभव है.

सवाल : क्या द्रमुक राष्ट्रीय राजनीति में मजबूत पकड़ बनाने का प्रयास कर रही है? आपके भाषण हिन्दी में इस प्रकार प्रकाशित हो रहे हैं जैसे पहले कभी नहीं हुए. क्या आपने कभी सोचा है प्रधानमंत्री बनने का?

जवाब : द्रमुक पहले से ही राष्ट्रीय राजनीति में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है. आज यह 40 साल से अधिक समय तक अपनी छाप छोड़ते हुए इस शिखर पर पहुंच गई है. यह कलैग्नार (एम करुणानिधि) ही थे, जिन्होंने बैंक राष्ट्रीयकरण सहित दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के प्रगतिशील उपायों का समर्थन कर राष्ट्रीय राजनीति में पार्टी की छाप छोड़ी थी. आपातकाल के दौरान, उन्होंने लोकतांत्रिक आवाज का नेतृत्व किया और उत्तर भारत के नेताओं को तमिलनाडु में लोकतांत्रिक हवा में सांस लेने का मौका दिया, जो किसी अन्य राज्य ने नहीं किया था.

तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन से खास बातचीत

सामाजिक न्याय के समर्थक वीपी सिंह की राष्ट्रीय मोर्चा सरकार की रीढ़ थी द्रमुक. इसने पिछड़े वर्गों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण को लागू कर पूरे देश में सामाजिक न्याय की लौ जलायी. न्यूनतम साझा कार्यक्रम के साथ, इसने वाजपेयी सरकार का समर्थन किया, जिससे यह माना गया कि जब द्रमुक होगी तो सांप्रदायिकता के लिए कोई जगह नहीं होगी. यह द्रमुक ही थी जिसने सुनिश्चित किया कि गठबंधन सरकार अपना पूरा कार्यकाल चला सके और संघ में राजनीतिक स्थिरता आए.

प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की दो संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकारों में द्रमुक एक महत्वपूर्ण भागीदार रह चुका है. राष्ट्रपति चुनावों में द्रमुक का रुख सफल साबित हुआ और उसने राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया. आज की राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए, द्रमुक सोशल मीडिया सहित कई प्लेटफार्म से INDIA के गतिविधियों में योगदान दे रही है. हमारे नेता कलैग्नार ने कहा था, "मैं अपनी ऊंचाई जानता हूं" और एमके स्टालिन भी अपनी ऊंचाई को अच्छी तरह से जानते हैं.

सवाल : केंद्र सरकार हर नए विधेयक का नाम हिंदी में रख रही है. यहां तक कि पिछले कानूनों का नाम भी हिंदी में बदल दिया गया. हिंदी आधिपत्य के विरोध के लिए जानी जाने वाली द्रमुक और तमिलनाडु की प्रतिक्रिया क्या होगी?

जवाब : द्रमुक सांसदों ने इस मुद्दे को संसद के दोनों सदनों में उठाया है. उन्होंने हिंदी पर अपना विरोध भी दर्ज कराया है. द्रमुक लगातार भाजपा की 'एक राष्ट्र, एक भाषा' के पीछे छिपे मंसूबों को उजागर करती आई है, जो न केवल तमिल बल्कि अन्य राज्यों की सभी भाषाओं के लिए हानिकारक है. अन्य राज्यों में भी इस पर जागरूकता फैलाई जा रही है. हम किसी भी भाषा के विरोधी नहीं हैं. लेकिन, हम किसी भी भाषा को थोपे जाने के सख्त खिलाफ हैं और यह जारी रहेगा. संसदीय चुनाव के बाद नई सरकार सभी भाषाओं को समान दर्जा और महत्व देगी.

तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन से खास बातचीत

सवाल : वाशिंगटन पोस्ट ने भाजपा द्वारा चुनाव प्रचार के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का दुरुपयोग करने पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है. क्या यह महज डिजिटल मीडिया के इस्तेमाल की रणनीति है या सत्ता का दुरुपयोग? आपका क्या विचार है?

जवाब : भारतीय जनता पार्टी के फर्जी प्रचार के कारण ही 'व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी' का नाम पड़ा है. डिजिटल से लेकर टेलीविजन और प्रिंट तक, भाजपा सरकार का इस्तेमाल सत्ता पर कब्जा जमाने या दुरुपयोग करने के लिए किया जाता है. वॉशिंगटन पोस्ट ने खुलासा किया है कि सोशल मीडिया का भी इस प्रकार से इस्तेमाल किया जा रहा है. इसलिए, INDIA द्वारा कुछ एंकरों का बहिष्कार केवल राजनीतिक शक्ति के दुरुपयोग को उजागर करने के लिए है.

सवाल : INDIA की वर्तमान स्थिति क्या है? वह कौन सी प्रेरक शक्ति है जो इस गठबंधन का समन्वय करती है?

जवाब : INDIA गठबंधन ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव और हाल के उपचुनावों के साथ पहले दौर में सफलता का स्वाद चखा है. यह भाजपा का अलोकतांत्रिक, जनविरोधी और संविधान विरोधी नौ साल का शासन है, जिसने INDIA को एकजुट किया. भाजपा के प्यादे - प्रवर्तन निदेशालय और अन्य में आयकर विभाग, INDIA गठबंधन में और अधिक दलों को लाएंगे. यह संविधान और उसके सिद्धांत हैं और साथ ही लोग हमारे गठबंधन की प्रेरक शक्ति हैं.

सवाल : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिरों को हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग (एचआर एंड सीई) के नियंत्रण में होने की आलोचना की है. इस पर तमिलनाडु सरकार की क्या प्रतिक्रिया है?

जवाब : द्रमुक के सत्ता में आने के बाद, 1118 मंदिरों में अभिषेक किया गया. अब तक एचआर एंड सीई विभाग की 5820 एकड़ जमीन, जिसकी कीमत 5473 करोड़ रुपये है, बरामद की जा चुकी है. पीएम ने बिना जाने ये बात कही है और मैं पहले ही इसका जवाब दे चुका हूं. आज भाजपा सरकार में क्या हो रहा है? वे एम्स अस्पताल नहीं बना सके. वे नीट विरोधी विधेयक पर सहमति नहीं दे सके. राज्य के वित्तीय अधिकार, राज्यों के अधिकार नहीं दिये गये हैं.

एक व्यक्ति जो राज्य सरकार को किसी भी तरह का सहयोग देने से इनकार करता है, जो राजनीतिक बयानबाजी में शामिल होकर गवर्नर कार्यालय को बदनाम करता है, उसे राज्यपाल के पद पर रखा जा रहा है. यह तमिल और तमिलनाडु के विकास में बाधा उत्पन्न करता है, जिससे हमारे युवाओं के लिए रोजगार सृजन नहीं हो पाता है. अपने नौ साल के शासन में, भाजपा सरकार के पास ना तमिलनाडु के लिए कोई उपलब्धि है और ना कोई विशेष प्रोजेक्ट. इसलिए, पीएम को प्रदर्शन के आधार पर वोट मांगने में दिक्कत होती है. भाजपा सरकार की विफलता से ध्यान भटकाने के लिए वह एचआर एंड सीई को टार्गेट कर रहे हैं.

तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन से खास बातचीत

सवाल : द्रमुक सरकार के सामने कावेरी जल की कमी एक बड़ा मुद्दा बन गया है. इसमें किसानों के लिए क्या समाधान है? क्या राजनीतिक समाधान संभव है?

जवाब : कावेरी न्यायाधिकरण की स्थापना केवल इसलिए की गई थी, क्योंकि राजनीतिक समाधान मायावी था. अंतिम फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा था. कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण और शीर्ष अदालत से संपर्क कर डेल्टा क्षेत्र के किसानों के लिए पानी सुरक्षित किया गया है. मेरी सरकार प्रदेश के किसानों और कावेरी पर उनके अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.

सवाल : आपने आगामी राष्ट्रीय दशकीय जनगणना में जाति जनगणना को शामिल करने का अनुरोध करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. कुछ नेता राज्य सरकार से खुद जाति सर्वेक्षण कराने की मांग कर रहे हैं. क्या तमिलनाडु सरकार द्वारा जाति सर्वेक्षण कराने की संभावना है?

जवाब : तमिलनाडु 69 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करता है. संघ सूची के अंतर्गत जनगणना आती है और यही कारण है कि यूपीए सरकार, जिसमें द्रमुक शामिल थी, ने साल 2011 में जाति-वार गणना शुरू की थी. भाजपा सरकार जब सत्ता में आई, तब उसने उस गणना के निष्कर्ष जारी नहीं किए थे. हालांकि, इसके लिए साल 2015 में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था, लेकिन उस पैनल की रिपोर्ट आज तक जारी नहीं की गई. यह मंडल आयोग था जिसने पिछड़े वर्गों के लिए शिक्षा और रोजगार में 27 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया था. इसी तरह, जनगणना के हिस्से के रूप में केवल जातिगत जनगणना ही न केवल तमिलनाडु के लिए बल्कि पूरे देश के लिए सामाजिक न्याय सुनिश्चित कर सकती है. यही वजह है कि मैंने इस पर पीएम को पत्र लिखा है.

सवाल : क्या वाकई बीजेपी-एआईएडीएमके गठबंधन टूट गया है? क्या गठबंधन की गणना में कोई बदलाव आएगा?

जवाब : आपको भाजपा के एक सहयोगी दल द्वारा नाता तोड़ने के बाद राज्य में हुए घटनाक्रम के बारे में पता होना चाहिए और आप अन्नाद्रमुक और भाजपा को अलग होते हुए भी देख रहे हैं. आपके मन में भी इस बात को लेकर संशय है कि क्या वाकई ये अलग हो गए हैं. हमें इसकी कोई चिंता नहीं है. लोगों ने भाजपा और अन्नाद्रमुक शासन में अव्यवस्था देखी है. आज वे एक ऐसी सरकार को देख रहे हैं, जिसके खाते में कई उपलब्धियां हैं और वह देश का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रही है. हम अपने सुशासन पर विश्वास रखते हुए चुनाव में उतरते हैं. पिछले ढाई वर्षों में, हमने 10 साल लंबे अन्नाद्रमुक शासन की प्रशासनिक अव्यवस्था को सुधारा है और राज्य मशीनरी को उत्कृष्टता के साथ चला रहे हैं. हम द्रमुक के सुशासन और सहयोगियों की सद्भावना के आधार पर लोगों से मिलेंगे. जनता हमारे साथ है.

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Last Updated : Oct 31, 2023, 7:03 PM IST

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