चेन्नई: तमिलनाडु में सत्तारूढ़ डीएमके ने रामेश्वरम में राम सेतु के वास्तविक रूप की मौजूदगी के केंद्र के दावे के मद्देनजर सेतुसमुद्रम जहाज नहर परियोजना को पुनर्जीवित करने का आह्वान किया है. मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने राष्ट्र की आर्थिक समृद्धि के लिए परियोजना को पुनर्जीवित करने और भारतीय बंदरगाहों की माल ढुलाई क्षमता बढ़ाने की वकालत की. 2 जुलाई, 2005 को 2,500 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से शुरू की गई परियोजना, विरासत के प्रतीक राम सेतु के विध्वंस के खिलाफ पर्यावरणविदों और हिंदू कार्यकर्ताओं के विरोध के बाद ठप हो गई.
डीएमके (DMK) ने 2021 के विधानसभा चुनाव के दौरान दक्षिणी तमिलनाडु के लिए आर्थिक लाभ लाने के लिए सत्ता में आने पर परियोजना को पूरा करने का वादा किया था. केंद्र की भाजपा सरकार पर धार्मिक बहाने से प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डालने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर यूपीए शासन के दौरान शुरू की गई परियोजना की अनुमति दी जाती तो जबरदस्त विकास होता. उन्होंने कहा 'आप जानते हैं कि सेतुसमुद्रम जहाज नहर परियोजना को किसने रोका था.'
उन्होंने कहा, 'वो बीजेपी थी. केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा को सूचित किया था कि यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है कि रामेश्वरम में राम सेतु मौजूद था.' उन्होंने शनिवार रात यहां पूर्व केंद्रीय मंत्री और द्रमुक के वरिष्ठ नेता टी आर बालू की आत्मकथा 'पथिमारा पायनम' का विमोचन करने के बाद ये बात कही. केंद्र द्वारा परियोजना शुरू करने के पीछे बालू प्रमुख शक्ति थे. स्टालिन ने इस कार्यक्रम में दावा किया कि 'अगर इस परियोजना को स्थगित नहीं किया गया होता, तो तमिलनाडु को बहुत फायदा होता.'