चेन्नई :तमिलनाडु में हाल के दिनों में पाट्टाली मक्कल काची (पीएमके) और अभिनेता सूर्या के बीच तनातनी लगातार सुर्खियों में बनी हुई है. मुद्दा यह है कि सूर्या की हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'येथरकुम थुनिंथवन' (Yetharkum Thuninthavan) मुश्किल में आ गई है, क्योंकि पीएमके के कैडर ने शिकायत दर्ज कराई है कि फिल्म को रिलीज नहीं किया जाना चाहिए. पाट्टाली मक्कल काची तमिलनाडु की राजनीतिक पार्टी है.
सिनेमाघरों में पुलिस सुरक्षा बढ़ा दी गई है. प्रकरण पिछले साल रिलीज हुई सूर्या की 'जय भीम' फिल्म की पृष्ठभूमि में आता है. उत्तरी तमिलनाडु में एक प्रमुख समुदाय वन्नियार का प्रतिनिधित्व करने वाले संघ ने फिल्म के निर्माताओं को कानूनी नोटिस भेजा था. समुदाय की प्रतिष्ठा धूमिल करने के लिए अभिनेता सूर्या ने बिना शर्त माफी मांगने की मांग की थी.
तमिलनाडु में पीएमके और सिनेमा के बीच ये नया मामला नहीं है. जब 2002 में सुपरस्टार रजनीकांत की फिल्म 'बाबा' रिलीज हुई थी, तो पीएमके कैडर ने सिनेमाघरों में तोड़फोड़ की और विरोध प्रदर्शन किया था. वजह कि फिल्म में बहुत सारे धूम्रपान के दृश्य थे. अब इस मुद्दे को 'जय भीम' ने बढ़ा दिया है जो बाबा से लेकर विजय की सरकार तक जारी रहा. जहां तक सरकार फिल्म की बात है, तो इसमें एक सीन था जिसमें विजय सिगरेट पकड़े थे, जिससे पीएमके को नाराजगी है और फिल्म को विरोध का सामना करना पड़ा. हालांकि जय भीम का मामला अलग है.
सच्ची कहानी पर आधारित थी जय भीम
जय भीम के निर्देशक टीएस ज्ञानवेल (T.S Gnanavel) ने जय भीम फिल्म में प्रभावशाली जातियों के उत्पीड़न से प्रभावित इरुलर समुदाय (इरुला समुदाय) के लोगों की कहानी को चित्रित किया. फिल्म एक सच्ची कहानी पर आधारित है. हालांकि, पीएमके ने जोर देकर कहा कि फिल्म में पुलिस अधिकारियों ने उनके समुदाय को हिंसक के रूप में चित्रित किया है. पीएमके ने सूर्या से माफी की मांग करते हुए दावा किया कि जय भीम फिल्म में उनके समुदाय का अपमान किया गया था. मध्यस्थों का तर्क यह है कि फिल्म निर्देशक अभिनेता को भुगतान करती है इसका मतलब ये नहीं कि फिल्म में दिखाए गए सीन के लिए वह पूरी तरह से जिम्मेदार है. फिर भी, इसका मतलब यह नहीं है कि यह सब स्वीकार करने की अनिच्छा को छोड़ दें.