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SC quota for Dalit Christians: तमिलनाडु विधानसभा में दलित ईसाइयों के लिए एससी कोटा संबंधित प्रस्ताव पारित - दलित ईसाई

तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने दलित ईसाइयों की सात दशक से अधिक पुरानी मांग पर मुहर लगा दी है. तमिलनाडु विधानसभा ने बुधवार को एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें केंद्र से उन्हें अनुसूचित जाति सूची में शामिल करने के लिए संविधान में आवश्यक बदलाव करने का आग्रह किया गया है, ताकि उन्हें सामाजिक न्याय का लाभ मिल सके, प्रस्ताव को आगे बढ़ाते हुए स्टालिन ने एक भावपूर्ण बी भाषण दिया, जिसमें जोर दिया गया कि आस्था के विपरीत, जाति को बदला नहीं जा सकता है.

SC quota for Dalit Christians
दलित ईसाइयों के लिए एससी कोटा

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Published : Apr 20, 2023, 9:04 AM IST

चेन्नई:तमिलनाडु विधानसभा ने बुधवार को दलित ईसाइयों की लंबे समय से लंबित मांग का समर्थन करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें केंद्र से उन्हें अनुसूचित जाति सूची में शामिल करने के लिए संविधान में आवश्यक बदलाव करने का आग्रह किया गया है. प्रस्ताव को आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि सामाजिक उत्पीड़न और भेदभाव दूसरे धर्म में परिवर्तित होने पर खत्म नहीं होते हैं. उन्होंने कहा कि दलित ईसाइयों को एससी सूची में शामिल करने की आवश्यकता है, ताकि वे इसका लाभ उठा सकें.

मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि दलित ईसाई अपने अधिकारों और लाभों से लंबे समय से वंचित थे. हमें इस मुद्दे को बड़ी चिंता के साथ देखना होगा, क्योंकि उन्हें लाभ देना सही है. एक ही जाति में उनके समकक्षों द्वारा प्राप्त विशेषाधिकारों से उन्हें वंचित नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि लोगों को अपनी पसंद के धर्म का पालन करने का अधिकार है लेकिन आस्था के विपरीत जाति को बदला नहीं जा सकता. यह एक सामाजिक बुराई है, जो समाज को उच्च और निम्न स्थिति में विभाजित करती है.

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उन्होंने कहा कि जाति सामाजिक उत्पीड़न और भेदभाव को लागू करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला उपकरण है. सामाजिक न्याय दलितों के उत्थान के लिए आरक्षण के मानदंड के रूप में उसी जाति का उपयोग कर रहा है. स्टालिन सरकार ने प्रस्ताव को पेश करने से पहले कानूनी विशेषज्ञों से सलाह ली है.

आपको बता दें कि प्रस्ताव पारित करके तमिलनाडु दलित ईसाइयों के लिए अनुसूचित जाति का दर्जा मांगने में यूपी, बिहार, आंध्र प्रदेश और पुडुचेरी जैसे राज्यों में शामिल हो गया. तमिलनाडु में दलित ईसाइयों को ओबीसी कोटा के तहत जोड़ा गया है. दरअसल, 1950 में राष्ट्रपति के आदेश ने एससी सूची से हिंदू दलितों को छोड़कर अन्य सभी को बाहर कर दिया था. 1956 में सिख दलितों को शामिल किया गया और 1990 में नव बौद्धों को शामिल किया गया.

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बीजेपी ने किया विरोध:भाजपा विधायक और पार्टी अखिल भारतीय महिला मोर्चा की अध्यक्ष वनती श्रीनिवासन ने कहा कि दलित ईसाइयों को एससी लाभ देना अस्वीकार्य है. उन्होंने दावा किया कि डीएमके साल 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए ऐसा कर रही है. यह हिंदू दलितों को उनके अधिकारों से वंचित करेगा. इसके अलावा, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले को जब्त किए जाने पर संकल्प लाने की आवश्यकता पर भी सवाल उठाया.

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