लखनऊ :उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव(UP Assembly Election 2022) के मद्देनजर भाजपा की सोशल मीडिया पर बढ़ी सक्रियता यह साबित करने को काफी है कि किस कदर पार्टी दोबारा सूबे की सत्ता में वापसी की तैयारी कर रही है. इतना ही नहीं अबकी भाजपा ने विपक्षियों को घेरने के लिए अफगानिस्तान में बंदूक की नोक पर बनी तालिबानी सरकार और वहां हो रहे मानवाधिकार के हनन को हथियार बनाया है. लेकिन अब आप सोचेंगे कि भला उत्तर प्रदेश में कैसे तालिबान भाजपा के लिए मजबूत सियासी हथियार बन गया. दरअसल, भाजपा अफगानिस्तान की खौफनाक तस्वीर को पेश कर हिन्दू मतदाताओं को एक एकजुट करने की कोशिश में है और जमीनी स्तर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सरीखे हिन्दुवादी संगठनों से उसे मदद भी मिल रही है.
वहीं, क्षेत्रीय पार्टियां भले ही सोशल मीडिया पर पहले की तुलना में अधिक सक्रिय दिख रही हो, पर कहीं न कहीं अब भी वे जाति समीकरण के अपने पुराने दांव पर ही अधिक फोकस कर रही हैं. यदि बात समाजवादी पार्टी की करें तो सपा यादव-मुस्लिम वोट को हासिल कर सत्ता की गणित साधते रही है. वहीं, बसपा पिछड़ा व अति पिछड़ों की रहनुमाई कर सीटों की समीकरण में पेंच फंसा सत्ता की लालसा पाले बैठी है. लेकिन इस बीच बसपा सुप्रीमो मायावती के ब्राह्मणों से बढ़ी करीबी ने उन्हें अपने परंपरागत वोटर्स से काटने का काम किया है.
इधर, सूबे में सियासी रूप से कमजोर पड़ी मायावती के कई प्रतिद्वंद्वी उठ खड़े हुए हैं. पश्चिम उत्तर में चंद्रशेखर की भीम सेना और अवध में निषाद पार्टी और पूर्वांचल में अपना दल के अलावा भी कई छोटी पार्टियां हैं, जो जातिगत वोट को पाट कर समीकरण बिगाड़ सकती हैं. यही कारण है कि भाजपा ने निषाद पार्टी और पूर्वांचल में अपना दल को अपना बना रखा है. यानी कहने का तात्पर्य यह है कि भाजपा हर मोर्चे पर विपक्ष को पटखनी देने को तैयार बैठी है. वहीं, 15 अगस्त के बाद यानी अफगानिस्तान में तालिबानियों के कब्जे के बाद की सूरत को भाजपा ने यूपी में खूब भुनाया है.
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पार्टी ने तालिबान को खौफ की असीम पीड़ा के रूप में पेश कर यह बताने की कोशिश की है कि हिन्दू जाति भेद की दीवार को ध्वस्त कर मोदी-योगी को मजबूत करें, ताकि कभी हमारे मुल्क में तालिबान सी कट्टर सोच व खौफ न पनपे. यानी संदेश स्पष्ट है और सूबे के सियासी जानकार इसे अच्छी तरह से समझ भी रहे हैं.
वहीं, इस तरह के संदेशों को साझा करने को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर पार्टी आईटी सेल के साथ ही स्वतंत्रत समूहों को काम पर लगाया गया है. जानकारी यह भी है कि सूबे में भाजपा ने 1,918 ऐसी टीमें सोशल मीडिया पर प्रचार-प्रसार को लगा रखी हैं, जो सूबे की नियमित सियासी हलचलों के साथ ही विपक्ष के हर दांव पर पटखनी देने को अग्रसर हैं. इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बतौर हिन्दुत्व रक्षक व नायक के रूप में पेश किया जा रहा है. साथ ही समाजवादी पार्टी और बसपा पर मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप मढ़े जा रहे हैं.
इंस्टेंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप पर पार्टी की ओर से संचालित सोशल मीडिया हैंडल और समूहों पर साझा किए गए संदेशों पर नजर डालने पर पता चलता है कि पिछले दो महीनों में कम से कम 35 फीसद पोस्ट तालिबान से संबंधित मुद्दों को लेकर किए गए हैं. उन पोस्टों के मूल में मोदी और योगी को 'हिंदुत्व के ब्रांड' के रूप में कट्टरपंथी इस्लामिक खतरों से संघर्ष का एकमात्र विकल्प दर्शाया गया है.