नई दिल्ली: दुनियाभर के अफगान दूतावासों ने काबुल में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार के पतन को एक साल पूरा होने पर सोमवार को कहा कि तालिबान न केवल अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विफल रहा है, बल्कि उसने सार्वजनिक जीवन से महिलाओं को व्यवस्थित रूप से हटाने सहित 'फिर से कठोर नीतियां' भी लागू की हैं. तालिबान ने पिछले साल 15 अगस्त को अमेरिकी सैनिकों की वापसी और अशरफ गनी सरकार के पतन के बाद काबुल की सत्ता पर कब्जा कर लिया था. विभिन्न अफगान राजनयिक मिशन ने एक बयान में कहा, 'अफगान नागरिक बुनियादी सेवाओं से वंचित हैं और वे मानवाधिकारों के गंभीर हनन, गरीबी, दमन तथा भय का सामना कर रहे हैं.'
उन्होंने कहा, 'तालिबान ने 2001 के बाद से अफगानिस्तान के लोगों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के संयुक्त प्रयास तथा बलिदान के माध्यम से हासिल की गईं अच्छी चीजों को लगभग रातोंरात बर्बाद कर दिया.' भारत सहित दुनियाभर में स्थित अफगानिस्तान के अधिकतर दूतावास अब भी तालिबान शासन से इतर स्वतंत्र रूप से कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि तालिबान ने राजनीतिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण समावेशी और प्रतिनिधि सरकार के गठन के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार की जाती रही अपील को खारिज कर दिया है.