रायपुर:यूं तो हर दिन महिलाओं के लिए खास होता है. लेकिन दुनिया भर में 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day 2022) मनाया जाता है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर हम आपको रायपुर की एक ऐसी महिला से मिलवाने जा रहे हैं, जिन्होंने 31 देशों में जाकर अभिनय किया और छत्तीसगढ़ का मान बढ़ाया. हम बात कर रहे हैं रायपुर की रहने वाली ममता अहार की, जो छत्तीसगढ़ की एकमात्र महिला रंगकर्मी है, जिन्होंने अपनी प्रतिभा के दम पर छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया. ममता एक शिक्षिका के साथ-साथ रंगकर्मी, लोक गायिका और नाटक लेखन का कार्य करती हैं.
पिछले 25 सालों से अधिक समय से ममता अहार ने अलग-अलग नाटकों में अभिनय क्या है. खास तौर पर इन्हें छत्तीसगढ़ की मीरा के नाम से भी जाना जाता है. अब तक भारत की महान नारियों जैसे यशोधरा, द्रौपदी, मीरा, सावित्रीबाई फुले, जीजाबाई जैसी महान नारियों का किरदार निभाया है. इन महान नारियों का रोल अदा करके उनके जीवन से प्रेरणा लेने का संदेश दे रही हैं आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने ममता अहार से खास बातचीत ( Multi Talented Mamta Ahar exclusive Interview)की. बातचीत के दौरान उन्होंने अपने संघर्ष के साथ-साथ अपने जीवन के खास पलों को ईटीवी भारत से शेयर किया.
सवाल: अभिनय के क्षेत्र में आपने कब कदम रखा? आपका इस क्षेत्र में कैसे आना हुआ?
जवाब: 11वीं कक्षा में जब मैं पढ़ाई करती थी, उस दौरान इप्टा द्वारा ग्रीष्मकालीन शिविर लगाया गया था. उस शिविर में मैंने भाग लिया. शुरूआत में घर में अपने माता-पिता से मैंने परमिशन मांगा. परमिशन मिलने के बाद ग्रीष्मकालीन समय में मैं थिएटर करने लगी. उस दौरान में अच्छा पढ़ाई करती थी तो घर वालों को भी लगा कि पढ़ाई के साथ नाटक के लिए भी समय दिया जाना चाहिए तो परिवार वालों की छूट के बाद मैंने अभिनय के क्षेत्र में भी कार्य किया. इप्टा से ही मेरे अभिनय की शुरूआत हुई. इसमें मैंने अनेक नाटकों में किरदार निभाया और यहीं से मैंने नाम कमाया.
सवाल: आपने भारत की महान महिलाओं का किरदार निभाया है. उनसे सीखने की प्रेरणा ली है.अब तक आपने कितने देशों में अपना अभिनय किया है?
जवाब: मैं 31 देशों में यात्रा कर चुकी हूं. इन देशों में अपने नाटक का प्रदर्शन किया है. लंदन, पेरिस स्विट्जरलैंड और कई बड़े-बड़े देशों में, अपने अभिनय की प्रस्तुति दी है. जिन नाटक में मैं एक पात्रीय अभिनय करती हूं. इसके अलावा ग्रीष्मकालीन नृत्य नाट्य शिविर का आयोजन करती हूं. जैसे मुझे मंच मिला था. वैसे ही मैं गरीब परिवारों के बच्चे जो, सुविधावहीन हैं और बहुत टैलेंटेड हैं लेकिन उन्हें मंच नहीं मिल पाता. मैं निशुल्क शिविर का आयोजन करती हूं, जिनमें नाटक लिखने से लेकर नाटक का संगीत तैयार किया जाता है. इसके धुन और गीत के बोल भी मैं ही तैयार करती हूं और यह सब पूरे आयोजन का खर्च हॉल का किराया उन सब का खर्च मैं वहन करती हूं, ताकि बच्चों को मंच मिल पाए मुझे जिस तरह से मंच मिला है.
सवाल: आप शिक्षक हैं, शिक्षक के साथ इस तरह का काम करने के लिए आप समय कैसे निकाल लेते हैं?
जवाब:मैं जब बाहर जाती हूं तो ज्यादातर ग्रीष्मकालीन समय में जाती हूं ताकि मेरा शिक्षण कार्य प्रभावित ना हो और पूरे समय मैं अपने कलाकारी में डूबी रहती हूं रात-रात भर जाग कर नाटक लिखना-संगीत लिखने का कार्य जारी रहता है. यह मेरे जीवन का एक अहम हिस्सा है और इससे मैं अलग नहीं रह सकती.