कुल्लू : बीती 21-22 जून की रात मनाली को लेह से जोड़ने वाले हाइवे (Leh Manali Highway) पर दो पर्यटकों की मौत हो गई. बताया गया कि ऑक्सीजन की कमी के कारण दोनों की मौत हुई है. हिमाचल में हर साल लाखों पर्यटक देश विदेश से आते हैं जो मनाली-लेह हाइवे पर भी कुदरत के खूबसूरत नजारों के दीदार के लिए पहुंचते हैं. लेकिन इस हाइवे पर काफी सावधानियां बरतने की जरूरत है. इसलिये अगर आप भी हिमाचल घूमने का बना रहे हैं प्लान तो इस हाइवे भी रहें सावधान.
लेह-मनाली हाइवे- ये देश ही नहीं दुनिया के सबसे ऊंचे सड़क मार्गों में से एक है. बर्फबार के कारण साल में 6 से 8 महीने बंद रहने वाला ये हाइवे कुछ दिन पहले ही खुला है. यही वजह है कि खुलते है पर्यटक इस हाइवे का रुख कर रहे हैं. रोजाना सैकड़ों गाड़ियां मनाली से लेह घाटी की ओर जा रही हैं. मनाली से लेह के बीच बारालाचा, शिंकुला, तांगलांग ला जैसे कई खूबसूरत दर्रों के अलावा कुदरत की खूबसूरती का अलग ही नजारा देखने को मिलता है. जो दुनियाभर के सैलानियों को अपनी ओर खींचता है.
मनाली से लेह के बीच करीब 428 किलोमीटर के इस हाइवे पर सैलानियों को हमेशा बर्फ की चादर का दीदार हो जाएगा. बर्फीले रेगिस्तान से होकर गुजरता ये हाइवे किसी को भी रोमांचित कर सकता है. यकीन ना हो तो इंटरनेट पर ही इसकी तस्वीरें देख लें तो आप भी रोमांचित हो उठेंगे. लेकिन कुदरत की गोद में बसा ये हाइवे जितनी खूबसूरती का दीदार कराता है, यहां सफर करना उतना ही खतरनाक है.
39 लोगों की हो चुकी है मौत- ये हाइवे 15 हजार से लेकर 18 हजार फीट की ऊंचाई से गुजरता है. हिमाचल प्रदेश के कुल्लू और लाहौल स्पीति जिले से होता हुआ ये हाइवे लेह तक पहुंचता है. इस हाइवे पर लोग रोमांच के लिए पहुंचते हैं लेकिन यहां थोड़ी सी लापरवाही जान पर भारी पड़ सकती है. इतनी ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी होना स्वाभाविक है. लाहौल स्पीति पुलिस के मुताबिक बीते 5 सालों में इस हाइवे पर 39 लोगों की मौत हुई है. इनमें से 18 लोगों की जान ऑक्सीजन की कमी, हार्ट अटैक, बीपी के कारण हुई है. अन्य की मौत रोड एक्सीडेंट या अन्य हादसों में हुई है.
इन बातों का रखें ध्यान- मनाली-लेह हाइवे 4 हजार से 6 हजार मीटर की ऊंचाई से गुजरता है जहां High Altitude Sickness या ऑक्सीजन की कमी के कारण होने वाली समस्याएं आम होती हैं. इसलिये इस हाइवे पर सफर करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें. कुल्लू जिले के सीएमओ डॉ. नागराज पवार कहते हैं कि इतनी ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी स्वाभाविक है इसलिये सांस या दिल जैसी बीमारियों का सामना कर रहे हैं तो इस यात्रा से परहेज करें. इतनी ऊंचाई पर सफर करते वक्त ऑक्सीजन सिलेंडर, मेडिकल किट और अन्य जरूरी दवाएं साथ में जरूर रखें. शरीर में पानी की कमी ना हो इसलिये पानी पीते रहें. डॉ. पवार कहते हैं कि अगर यात्रा के दौरान कभी भी सिर दर्द या चक्कर आ रहे हों तो तुरंत अपने साथियों को बताएं ताकि वक्त रहते इलाज मिल सके.