बोनसाई यानी बड़े-बड़े पेड़ों का छोटा गमलों में लगा बौना स्वरूप, हमेशा से हो लोगों को काफी आकर्षित करता है. बोनसाई एक ऐसी शैली है जिसका जन्म चीन में हुआ लेकिन उसका विस्तार जापान में हुआ. इसलिए इस कला को जापानी तकनीक ही माना जाता है. बोनसाई को चीन में पेन्जाई नाम से जाना जाता है.
बोनसाई पौधों की देखभाल को लेकर लोगों में काफी भ्रम रहते हैं , इसलिए बड़ी संख्या में बागवानी के शौकीन लोग भी इन्हे लगाने में हिचकते हैं. इन भ्रमों को दूर करने के लिए ETV भारत सुखीभवा ने चंडीगढ़ के बोनजाई विशेषज्ञ डॉ नवीन पाल से जानकारी ली. इस संबंध में जानकारी देते हुए डॉ पाल ने बताया कि सही तकनीक की जानकारी तथा उसके इस्तेमाल से बोनसाई की देखभाल काफी सरल हो सकती है. हालांकि वह यह भी बताते हैं कि इनकी नियमित निगरानी तथा देखभाल बहुत जरूरी होती है. यही नही कई लोगों को यह भ्रम होता है कि बोनसाई पेड़ पर लगे फल खाएं नही जा सकते हैं , जो सही नही हैं. बोनसाई पर लगे फल तथा सब्जियां अपने मूल स्वाद में ही होती हैं यानी उनका स्वाद तथा पोषण बाजार में मिलने वाले फल सब्जियों सरीखा ही होता है. इसलिए बहुत से लोग आजकल अपने घर में बोनसाई किचन गार्डन बनाने को प्राथमिकता भी देते हैं.
बोनसाई पेड़ों तथा पौधों की देखभाल से जुड़ी कुछ खास जानकारियाँ तथा उनके रखरखाव के तरीकों को लेकर भी डॉ पाल ने जानकारी दी , जो इस प्रकार है.
स्थान
यदि आप बोनसाई लगाने जा रहे हैं तो सबसे पहले इस बात का ध्यान रखना जरूरी है की आप जो भी प्रजाति लगा रहे हैं वह आपके वातावरण में पनप सकता है या नही. इसके अलावा बोनसाई का चयन करते समय यह भी ध्यान में रखें की आप उन्हे घर के अंदर लगाने वाले हैं या घर के बाहर . क्योंकि कुछ पौधों को धूप की ज्यादा जरूरत होती है और कुछ को कम. बोनसाई की जरूरत को ध्यान में रखते हुए ही उसे रखने का स्थान निर्धारित करें. यदि आप कम धूप में पनपने वाले बोनसाई को लगाने की सोच रहे है तो आपको घर के अंदर एक ऐसा स्थान चुनना है जहाँ पर प्रकाश सीधा न पड़े. ऐसा करने से पौधे को सूर्य का प्रकाश तो मिलेगा लेकिन अधिक देर तक नहीं. ऐसे में बोनसाई में नमी बनी रहती है तथा वह ज्यादा उपजाऊ बनते है. वहीं यदि आप ऐसे बोनसाई लगा रहे हैं जिन्हें सूरज के प्रकाश की आवश्यकता ज्यादा होती है तो उन्हे बगीचे में ऐसी जगह लगाए जहां लगाये जहाँ उन्हे अच्छे से धूप मिले.
सही गमले का चयन जरूरी
बोनसाई के लिए सही गमले का चुना जाना बहुत जरूरी होता है. पेड़ व उसकी जड़ों का आकार, पानी की निकासी की सही व्यवस्था तथा गमले का प्रकार यानी वह मिट्टी का है या सीमेंट का, गमले का चयन करते समय इन बातों को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है. आनुपातिक तौर पर देखा जाय तो गमले का आकार पेड़ की ऊंचाई के लगभग 2/3 के अनुपात में होना चाहिए और उसकी गहराई उसके तने की मोटाई के 2 गुना ज्यादा होनी चाहिए.
इसके अलावा यदि गमले में बोनसाई ज्यादा भरा बड़ा दिखने लगे या पानी को सोखने में ज्यादा समय लगने लगे तो गमले को बदल देना चाहिए. वैसे भी बड़े बोनसाई की जड़ें तेजी से बढ़ती हैं. इसलिए उसके गमले को साल-दो साल में बदलते रहना चाहिए.
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