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तीनों काले कानून खत्म कर किसानों को नए साल की सौगात दे सरकार : कांग्रेस

आज किसान आंदोलन का 35वां दिन है. कानूनों को विरोध में किसान कड़ाके की ठंड और कोरोना महामारी के संकट के बीच देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर भारी तादाद में जमे हुए हैं. इसी बीच कांग्रेस का कहना है कि कृषि कानूनों पर केंद्र सरकार को अपनी हठ त्याग देनी चाहिए. तीनों कानूनों को रद्द करना चाहिए.

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Published : Dec 30, 2020, 5:54 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस ने किसान संगठनों और सरकार के बीच नए दौर की बातचीत की पृष्ठभूमि पर बुधवार को कहा कि केंद्र को तीनों काले कृषि कानूनों को निरस्त कर किसानों को नए साल की सौगात देनी चाहिए.

हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि हम मांग कर रहे हैं कि सरकार अपना हठ छोड़े. तीनों काले कानून खत्म करे और इसके बाद नए सिरे से किसानों को नए साल की सौगात दे. सरकार के पास नई शुरुआत का मौका है.

उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि केंद्र और हरियाणा प्रदेश की भाजपा सरकारें जनता के बीच विश्वास खो चुकी हैं.

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हरियाणा में 10 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है. हरियाणा की सरकार किसानों की बात नहीं सुन रही है. बेहतर होता कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर किसानों के प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री से मुलाकात करते और उन्हें जमीनी स्थिति से अवगत कराते.

शैलजा ने आरोप लगाया कि सरकार कारपोरेट को गले लगाती है, लेकिन किसानों और गरीबों की नहीं सुनती. अगर खेती का निगमीकरण किया गया, तो किसान भी जीएसटी और दूसरे करों के दायरे में आ जाएगा. इससे किसान का नुकसान होगा. इसका मतलब कि यह कुछ उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने का प्रयास है.

उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने दावा किया कि इन तीनों काले कानूनों के विरोध में किसान लगातार विरोध कर रहे हैं, लेकिन लगता है कि सरकार हठधर्मिता पर उतर चुकी है. गतिरोध तोड़ने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है.

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उन्होंने दावा किया कि इन कानूनों से सिर्फ किसानों को नुकसान नहीं होगा, बल्कि महंगाई बढ़ेगी तो देश के हर नागरिक का नुकसान होगा.

राहुल गांधी का बयान
पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर देश के किसान विश्वास नहीं करते.

उन्होंने प्रधानमंत्री के पूर्व के कुछ बयानों का हवाला देते हुए ट्वीट किया कि हर बैंक खाते में 15 लाख रुपये और हर साल दो करोड़ नौकरियां. 50 दिन दीजिए, नहीं तो.... हम कोरोना वायरस के खिलाफ 21 दिनों में युद्ध जीतेंगे. न तो कोई हमारी सीमा में घुसा है और न किसी चौकी पर कब्जा किया है.

उन्होंने कहा कि मोदी के असत्याग्रह के लंबे इतिहास के कारण उन पर किसान विश्वास नहीं करते.

राजनाथ सिंह का बयान
इससे पहले केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कुछ ताकतों ने किसानों के बीच गलतफहमियां पैदा करने की कोशिश की है. सिंह ने कहा कि किसान हमारे अन्नदाता हैं, उन पर किसी भी तरह का आरोप लगाना गलत है.

किसानों को नक्सल और खलिस्तानी बताए जाने पर सिंह ने कहा कि ये आरोप किसानों पर किसी के द्वारा नहीं लगाए जाने चाहिए. हम उनके प्रति अपना गहरा सम्मान व्यक्त करते हैं. हम किसानों के प्रति सिर झुकाते हैं. वे हमारे अन्नदाता हैं. किसानों के प्रति असंवेदनशील होने का कोई सवाल ही नहीं उठता है. हमारे किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और केवल मैं ही पीड़ित नहीं हूं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पीड़ित हैं.

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