लखनऊ :हजरतगंज स्थित परिवारिक न्यायालय ने परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह और उनकी पत्नी महिला एवं बाल विकास विभाग की पूर्व मंत्री स्वाति सिंह के तलाक की अर्जी पर मुहर लगा दी है. अब कानूनी तौर पर दोनों पति-पत्नी नहीं हैं. कोर्ट ने इन्हें इस रिश्ते से आजाद कर दिया है. दयाशंकर सिंह और स्वाति सिंह के 2 बच्चे हैं. इनमें एक लड़का (18 वर्ष) और एक लड़की (20 वर्ष) है. दोनों बच्चे पहले से ही स्वाति सिंह के साथ रहते आ रहे हैं. बच्चों की कस्टडी कोर्ट ने स्वाति सिंह को दी है. पारिवारिक न्यायालय से मिली जानकारी के मुताबिक स्वाति सिंह ने गुजारे भत्ते की मांग नहीं की है.
10 साल पहले पारिवारिक न्यायालय में तलाक की अर्जी दी गई थी. दोनों की उपस्थिति न होने के कारण कोर्ट ने तलाक की अर्जी खारिज कर दी थी. बीते साल 30 सितंबर को पूर्व मंत्री स्वाति सिंह ने दोबारा से पारिवारिक न्यायालय में तलाक की अर्जी दी थी. इस पर सोमवार को सुनवाई हुई. बताया जा रहा है कि यह एक तरफा तलाक है.
तलाक के बाद दोनों बच्चे स्वाति सिंह के पास ही रहेंगे. बता दें कि प्रेम विवाह होने के बावजूद दोनों में तकरार होती रही. बीते 4 साल से दोनों एक-दूसरे से अलग रह रहे थे. इनके बीच कोई भी वैवाहिक संबंध नहीं था. साल 2012 में ही पारिवारिक न्यायालय में वादिनी ने तलाक के लिए अर्जी दी थी, लेकिन कोर्ट ने तारीख के दिन न पहुंचने पर अर्जी को खारिज कर दिया था. साल 2022 में 20 सितंबर को पूर्व मंत्री स्वाति सिंह ने दोबारा से उसी तलाक की अर्जी को आगे बढ़ाया, लेकिन कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया. इसके बाद साल 2022 में एक बार फिर से नई तलाक की अर्जी स्वाति सिंह ने पारिवारिक न्यायालय में दाखिल की. बीते वर्ष 20 सितंबर को जब पारिवारिक न्यायालय में तलाक की यह अर्जी दाखिल हुई तो उस समय प्रतिवादी के अदालत में न होने के कारण कोर्ट का फैसला एक तरफा रहा. इसके बाद पारिवारिक न्यायालय में वादिनी के द्वारा साक्ष्य प्रस्तुत किए गए. इसके आधार पर कोर्ट ने अपना अंतिम फैसला सुनाया.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े दयाशंकर की मुलाकात करीब 22 साल पहले स्वाति सिंह से हुई थी. उस दौरान स्वाति सिंह भी राजनीति में आने की इच्छुक थीं. उस समय स्वाति इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमए की पढ़ाई कर रहीं थीं. दोनों के बीच प्रेम प्रसंग शुरू हुआ. इसके बाद दोनों ने शादी करने का फैसला किया. दोनों ही उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के रहने वाले हैं. शादी के बाद स्वाति सिंह ने पीएचडी के लिए पंजीकरण कराया था.
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