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राम मंदिर आंदोलन की कहानी संत की जुबानी, सालों किया संघर्ष, कई बार गये जेल, फिर भी नहीं डिगी आस्था

Ram Mandir Pran Pratishtha, Parmanand Giri Maharaj हरिद्वार के संत स्वामी परमानंद गिरि महाराज की राम मंदिर आंदोलन निर्माण में अहम भूमिका रही. लंबे संघर्षों के बाद बन रहे राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने स्वामी परमानंद गिरि अयोध्या जा रहे हैं. अयोध्या जाने से पहले स्वामी परमानंद गिरि से राम मंदिर आंदोलन को लेकर ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

Ram Mandir Pran Pratishtha
राम मंदिर आंदोलन की कहानी संत की जुबानी

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 10, 2024, 12:55 PM IST

राम मंदिर आंदोलन की कहानी संत की जुबानी

हरिद्वार (उत्तराखंड): 22 जनवरी अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. जिसके लिए तैयारियां जोरों शोरों से चल रही हैं. राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में पीएम मोदी मुख्य यजमान की भूमिका में होंगे. राम मंदिर आंदोलन में भागीदार रहे देशभर के संतों को भी प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया है.

हरिद्वार के स्वामी परमानंद भी इन्हीं संतों में से एक हैं जिन्होंने राम मंदिर निर्माण आंदोलन में अहम भूमिका निभाई. राम मंदिर निर्माण आंदोलन के दौरान स्वामी परमानंद कई बार जेल भी गये. अब राम मंदिर बन रहा है. 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. जिससे स्वामी परमानंद काफी खुश हैं. ईटीवी भारत के साथ बात करते हुए स्वामी परमानंद ने आंदोलन के दिनों को याद किया. इन दौरान उन्होंने राम मंदिर निर्माण आंदोलन से रोचक किस्से सुनाये.

राम मंदिर आंदोलन के संघर्ष में स्वामी परमानंद गिरि

स्वामी परमानंद गिरि श्री राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के स्थाई सदस्य भी हैं. राम मंदिर बनने की खुशी और राम मंदिर से जुड़ी बातें को साझा करते हुए स्वामी परमानंद गिरि महाराज ने ईटीवी भारत को बताया कि जब राम मंदिर आंदोलन शुरू हुआ तब किसी को विश्वास नहीं था कि राम मंदिर बनेगा.

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संगठन के कारण मिली सफलता:स्वामी परमानंद गिरि महाराज ने बताया कि राम मंदिर बनाने की इच्छा देश के तमाम साधु संतों ओर हिंदुओं की थी. मगर बिना संगठन के ये संभव नहीं था. उन्होंने कहा राम मंदिर निर्माण के लिए विश्व हिंदू परिषद, साधु संत लगातार बैठकें करते थे. हरिद्वार के कई आश्रमों में भी तब बैठकें हुआ करती थी. उन्होंने कहा संगठन अयोध्या में शिला पूजन करवाता रहा. जिसके कारण साधु-संतों के साथ आम लोग भी इससे जुड़ते चले गये. जिसका नतीजा है कि आज अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है.

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पुलिस से लगने लगा था डर, वेश बदलकर करते थे जनसभा:आंदोलन के दिनों को याद करते हुएस्वामी परमानंद ने बताया शुरू में उन्हें समझ नहीं आता था कि पुलिस उनकी सुरक्षा के लिए है या फिर उन्हें रोकने या गिरफ्तार करने के लिए तैनात की गई है. उन्होंने कहा पुलिस को देखकर उन्हें डर लगने लग गया था. पुलिस को देखकर हमेशा ही असमंजस की स्थिति रहती थी. उन्होंने कहा कई बार जब वे जनसभा करने जाते थे तो पुलिस-प्रशासन उन्हें रोक देता थे. जिसके बाद वे वेश बदलकर जनसभाएं करते थे. उन्होंने कई बार उन्हें पुलिस-प्रशासन से भी सहयोग मिलता था.

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राम मंदिर निर्माण में विलंब, लोगों में फैली भ्रांतियां, उठने लगे थे सवाल: स्वामी परमानंद महाराज ने बताया कि शुरुआती दिनों में सभी को राम मंदिर निर्माण का पूरा भरोसा था. जिसके बाद इसमें हो रहे विलंब के कारण लोगों का धैर्य बार बार टूटने लगा. विवादित ढांचा गिरने बाद एक बार फिर से साधु-संतों में उत्साह आया. जिसके बाद राम मंदिर बनने का विश्वास सभी के अंदर जग गया है. उन्होंने बताया राम मंदिर निर्माण में विलंब के कारण कई बार भ्रांतियां भी फैली. लोगों ने इसे चुनाव से भी जोड़ा. मगर इसके बाद भी साधु संत लगातार इस कार्य में लग रहे. जिसका नतीजा है कि अब 500 साल के लंबे इंतजार के बाद रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान होने जा रहे हैं.

राम मंदिर आंदोलन में विश्व हिंदू परिषद

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रामराज सी हो गई अयोध्या:स्वामी परमानंद महाराज लंबे समय तक अयोध्या जाते रहे हैं. उन्होंने बदलती अयोध्या को देखा है. वे अयोध्या की तासीर को समझते हैं. आज अयोध्या के बदले रूप पर बोलते हुए स्वामी परमानंद महाराज ने कहा आज अयोध्या तो बिल्कुल बदल गई है. उन्होंने कहा आज अयोध्या ऐसी नजर आ रही है जैसे भगवान राम के काल में रही होगी. उन्होंने कहा अयोध्या भव्य हो रही है. भगवान राम के स्वागत के लिए अयोध्या तैयार है.

राम मंदिर आंदोलन

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राम मंदिर निर्माण आंदोलन में हरिद्वार की भूमिका:स्वामी परमानंद जी महाराज ने बताया हरिद्वार की इस आंदोलन में अहम भूमिका रही. हरिद्वार के साधु संतों ने लगातार अपने आश्रमों और मठ मंदिरों में विश्व हिंदू परिषद हो या संघ सभी की राम मंदिर से जुड़ी बैठक कराई. इतना ही नहीं कई आंदोलनों की भूमिका हरिद्वार में बैठकर ही तैयार की गई.

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