कोरबा:कोरोनासंक्रमण काल में किसी पॉजिटिव मरीज के घर के सामने कोविड-19 का बैनर लगा देख अच्छे-अच्छों की सांसें फूलने लगती हैं. लेकिन घर-घर घूमकर कचरा उठाने वाली स्वच्छता दीदियां हर दिन ऐसे घरों के सामने से गुजरती हैं. हालांकि संक्रमितों के घर से कचरा उठाव के लिए कोरबा नगर निगम ने एक अलग वाहन की व्यवस्था कर दी है, लेकिन खतरा तो बना हुआ है. घर-घर घूमकर कचरा उठाने वाली स्वच्छता दीदियां सरकार से सुविधाएं मांग रही हैं.
स्वच्छता दीदियों ने बताया कि काफी समय पहले सिर्फ दस्ताने मिले थे. जो अब फट चुके हैं. 6 हजार रुपए महीने की तनख्वाह पाने वाली ये स्वच्छता दीदियां आपदा के समय अपने पूरे हौसलों से काम कर रही हैं. वह अपने खर्चे पर मास्क, दस्ताने और सैनेटाइजर खरीद रही हैं.
कचरा उठाव की अहम जिम्मेदारी
नगर पालिक निगम कोरबा का क्षेत्रफल 215. 2 वर्ग मीटर है. क्षेत्रफल की दृष्टि से कोरबा नगर निगम छत्तीसगढ़ राज्य का सबसे बड़ा नगर निगम है. जिसकी जनसंख्या 3 लाख 65 हजार 73 है. नगर निगम में कुल 67 वार्ड हैं. कुछ वार्डों को छोड़ दिया जाए, तो सभी स्थानों पर डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन हो रहा है. महिला स्व सहायता समूह के माध्यम से स्वच्छता दीदियों को कचरा उठाने की जिम्मेदारी दी गई है.
डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन में लगी महिलाएं सुबह ही अपना काम शुरू कर देती हैं. वह घर-घर जाकर कचरा उठाती हैं और फिर एसएलआरएम सेंटर में लाकर इसे अलग-अलग करने के बाद अपने घर जाती हैं. शहर की सफाई व्यवस्था बनाए रखने में स्वच्छता दीदियों की सबसे अहम भूमिका है. बावजूद इसके आपदा के ऐसे समय में है पर्याप्त सुरक्षा मुहैया नहीं कराई गई है.
वेतन 6 हजार रुपए
डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के काम में लगी महिलाओं को छुट्टी कम ही नसीब होती है. उनका कहना है कि वह महीने के 30 दिन काम करती हैं. यदि एक दिन वह किसी घर से कचरा उठाना भूल जाऐं, तो वहां 2 दिन का कचरा इकट्ठा हो जाता है. जिससे बोझ उन पर ही बढ़ता है. महीने में 6 हजार रुपए बतौर वेतन मिलते हैं. साल भर से वेतन भी नहीं बढ़ा है. इतनी कम वेतन में भी वह किसी तरह गुजारा कर रही हैं. परेशानी सहकर भी वे महीने के 30 दिन ड्यूटी करती हैं. फिर चाहे वह संक्रमण का काल हो या फिर सामान्य दिन.