नई दिल्ली : लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और संसद से निलंबित कुछ अन्य सदस्य अपना निलंबन रद्द होने तक उन संसदीय समितियों की बैठकों में शामिल नहीं हो सकेंगे, जिनके वे सदस्य या अध्यक्ष हैं. चौधरी अत्यंत महत्वपूर्ण लोक लेखा समिति के प्रमुख हैं, लेकिन वह इसकी बैठक में भाग नहीं ले सकेंगे. इसी तरह, उन्हें निलंबन वापस होने तक गृह मामलों की संसद की स्थायी समिति की बैठकों में भी हिस्सा लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी. चौधरी इस समिति में सदस्य हैं.
वह लोकसभा की व्यापार सलाहकार समिति, सामान्य प्रयोजन समिति, संसदीय बजट समिति और रक्षा संबंधी सलाहकार समिति के भी सदस्य हैं. चौधरी ने कहा, 'मैं किसी भी संसदीय पैनल की बैठक में शामिल नहीं हो पाऊंगा, क्योंकि मुझे लोकसभा से निलंबित कर दिया गया है.' हालांकि, उन्होंने कहा कि वह अपने निलंबन के खिलाफ अदालत जाने पर सक्रिय रूप से विचार कर रहे हैं और इस संबंध में कानूनी विशेषज्ञों के साथ बातचीत जारी है.
चौधरी को 'बार-बार कदाचार' के लिए 10 अगस्त को लोकसभा से निलंबित कर दिया गया था और विशेषाधिकार समिति के समक्ष उनकी जांच लंबित है. सूत्रों ने कहा कि चौधरी, हालांकि, विभिन्न सरकारी चयन समितियों की बैठकों में भाग ले सकेंगे, जिनमें वह लोकसभा में प्रमुख विपक्षी दल के नेता के रूप में सदस्य हैं. चौधरी सीबीआई प्रमुख, मुख्य सूचना आयुक्त, केंद्रीय सतर्कता आयुक्त, मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की चयन समिति के सदस्य हैं.
वह लोकपाल और गांधी शांति पुरस्कार सहित संस्कृति मंत्रालय द्वारा प्रदान किए जाने वाले सभी पुरस्कारों की चयन समिति के सदस्य भी हैं. एक प्रसिद्ध वकील ने कहा कि चौधरी प्रमुख विपक्षी दल के नेता बने रहेंगे और इसलिए वह सरकारी समितियों की बैठकों में भाग लेना जारी रख सकते हैं. उनकी पार्टी के सहयोगी मनीष तिवारी ने कहा कि चौधरी का सदन से निलंबन अदालत का दरवाजा खटखटाने को लेकर उपयुक्त मामला है.