नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री जनरल वी.के. सिंह (सेवानिवृत्त) ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा की दिग्गज नेता रहीं सुषमा स्वराज की पुण्यतिथि पर भावुक होकर उन्हें याद करते हुए कहा कि उन्होंने जनता के प्रतिनिधि होने का मतलब सुषमा स्वराज से ही सीखा है. मोदी सरकार में सुषमा स्वराज के साथ राज्य मंत्री के तौर पर कार्य कर चुके सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज को याद करते हुए 2014 की घटना का जिक्र किया, "बात 2014 की है, आपको याद होगा इराक में हमारे 39 हमवतन लापता हो गए थे.
आईएसआईएस से भीषण युद्ध चल रहा था. पुलिस, कानून व्यवस्था के चिन्ह न्यूनतम ही थे. इस संकट में हमारे लापता हमवतनों से कोई संपर्क नहीं हुआ था. इराक में हमारे सूत्रों से अपुष्ट जानकारी मिल रही थी कि वे आईएसआईएस की कैद में ही कहीं थे. जैसे संकेत मिल रहे थे, उनसे सही आभास नहीं हो रहा था कि वे जीवित हैं या मार दिए गए हैं.'
'हमारे हमवतनों के परिवारवाले गुहार लगा रहे थे कि उन्हें खोजा जाए. सुष्मा जी ने उनकी विनती सुनी और कहा कि ये हमारे देश के लोग हैं. जब तक लेश मात्र भी संदेह है कि वे जीवित हो सकते हैं, उन्हें ढूंढ़ने के लिए हमें अपनी एड़ी-चोटी का जोर लगा देना चाहिए. अगर जीवित मिले तो हम सफल होंगे, नहीं तो उनके पार्थिव शरीर भी अगर स्वदेश आ सकेंगे तो उनके परिजन फिर भी संतोष कर पाएंगे.'
सिंह ने इस पूरे वाक्ये का विस्तार से जिक्र करते हुए लिखा, 'सुषमा जी ने अलग-अलग देशों के विदेश मंत्रियों से बातचीत का सिलसिला शुरू किया. संकेत मिले कि हमारे लोग आईएसआईएस की कैद में हैं और अलग- अलग स्थानों पर उनसे काम करवाया जा रहा है. 10 जुलाई, 2017 को इराकी प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि मोसुल आजाद हो गया.
उसी दिन सुषमा जी ने मुझे फोन कर के कहा कि जनरल साहब आप इराक चले जाइए और हमारे लोगों का पता लगाइए. मैं इंदौर में था, वापस दिल्ली आया और रात को ऐरबिल के लिए रवाना हो गया. ऐरबिल, जो इराकी कुर्द के नियंत्रण में था, वहां से मोसुल पहुंचना आसान था. पर मैं वहां से मोसुल नहीं जा पाया, क्योंकि तब भी मोसुल में लड़ाई जारी थी और इराकी सेना ने जाने की अनुमति नहीं दी.'