हैदराबाद : शिक्षा, प्रतियोगिता, कैरियर, राजनीति, व्यवसाय में लाख प्रयास के बाद भी सफलता नही मिल रही हो. धन, मान सम्मान की जगह अपमान और आर्थिक मंदी हाथ आ रही हो. तो, इन सबसे उबरने के लिए अवसर आपके द्वार पर है. यह अवसर है संतान, ज्ञान, मान, सम्मान, सत्ता सुख और सफलता के वास्तविक कारक ग्रह सूर्य के प्राकट्योत्सव अर्थात सूर्य सप्तमी का.
सूर्य सप्तमी माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि में 18 फरवरी गुरुवार को 8:15 बजे से 19 फरवरी शुक्रवार को सुबह 10:55 बजे तक है. इस अवधि में उदय तिथि में शुक्रवार को सुबह अरुणोदयकाल 6:55 बजे का अवसर सूर्योपासना का श्रेष्ठ मुहूर्त है. आइए जानते हैं वो सामान्य उपाय जिनके माध्यम से आप इस तिथि पर अपने बिगड़े काम बना सकते हैं.
अचला सप्तमी नाम से भी जाना जाता
शास्त्रों में कहा गया है कि सूर्य देव का प्राकट्य माघ शुक्ल सप्तमी को सात घोड़ों के रथ पर हुआ था. यह तिथि भगवान भुवन भाष्कर को अत्यंत प्रिय है. इस तिथि की उपासना संतान सुख की प्राप्ति के लिए भी की जाती है. इसे अचला सप्तमी नाम से भी जाना जाता है. सूर्य को आपकी छवि, प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता, राजसत्ता और शरीर में हड्डियों का कारक ग्रह माना जाता है.
सफल राजनेताओं, खिलाड़ियों, नौकरशाही के लोगों को सफलता कुंडली में सूर्य की मजबूत स्थिति ही दिलाती है. यदि आपकी हड्डियां कमजोर हो, शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं में कामयाबी नहीं मिल रही हो, राजनीति में प्रतिकूल समय चल रहा हो अर्थात आपकी कुंडली मे सूर्य कमजोर हैं. तो, ये उपाय खास आपके लिए ही हैं.