कानपुर IIT की टीम रडार सर्वे के लिए चिह्नित किए स्पॉट. वाराणसी:ज्ञानवापी परिसर में चल रहे एसआई के सर्वे का बुधवार शाम 5:00 बजे समापन हो गया. अब कल (गुरुवार) सुबह 8:00 बजे से फिर टीम अपनी कार्यवाही की शुरुआत करेगी. सबसे बड़ी बात यह है कि आज टीम के सदस्यों के सहयोग के लिए कानपुर आईआईटी की टीम भी वाराणसी पहुंची है. कानपुर आईआईटी की टीम पूरे परिसर का आकलन करने के साथ ही जीपीआर मशीन के इंस्टॉलेशन के लिए तमाम पॉइंट चिह्नित किया. अब जीपीआर तकनीक के जरिए सर्वे की कार्यवाही आगे बढ़ाई जा सकती है.
बुधवार को ज्ञानवापी में सर्वे को लेकर कोर्ट में भी काफी गहमागहमी की स्थिति देखने को मिली. कोर्ट की तरफ से ज्ञानवापी में सर्वे को लेकर चल रहे हैं. मीडिया कवरेज पर काफी सख्त रुख अपनाया है और कवरेज को लेकर मनगढ़ंत चीज न दिखाने और न प्रकाशित करने के निर्देश भी दिए हैं. हालांकि आदेश अभी मौखिक तौर पर है. लिखित आदेश कल जारी किया जा सकता है. फिलहाल कोर्ट के आदेश का असर आज सही देखने को मिलने लगा है. कोर्ट के आदेश के बाद वादी पक्ष के लोगों ने मीडिया से दूरी बनाना भी शुरू कर दिया है. काफी पूछने पर भी अंदर की कार्रवाई और समस्त जानकारियां साझा करने से वकील और वादी पक्ष की महिलाएं बस्ती नजर आई है.
बता दें कि ज्ञानवापी परिसर में विशेषज्ञों की टीम 3D इमेज के जरिए पूरा नक्शा तैयार कर चुकी है. माना जा रहा है कि इमेज को वहां मौजूद स्ट्रक्चर से मेल करते हुए मंदिर जैसा आकार दिया गया है. जानने की कोशिश की गई है की दीवार वर्तमान में मौजूद इमारत का हिस्सा है या नहीं. किसी प्राचीन मंदिर का अवशेष तो नहीं है. इमारत के ऊपर और उसके नीचे मौजूद शिखर जैसी आकृति की जांच, व्यास जी के कमरे से मलबा निकालने के बाद उसमें मिल रहे पत्थरों और आकृतियों की अवशेष की जांच भी की जा रही है.
मंदिर पक्ष के सुभाष चतुर्वेदी और सुधीर त्रिपाठी ने बताया है कि पश्चिमी दीवार की 3D इमेज तैयार करने के लिए टीम ने कई जगहों डीजीपीएस मशीन लगाई हुई है जो सेटेलाइट के जरिए ऑपरेट हो रही है. मशीन से जुड़े हुए टेबलेट पर हुबहू वही स्ट्रक्चर उतर रहा है, जो वर्तमान रूप में मौजूद है और उसके अंदर की हकीकत क्या है. उस पर भी काम शुरू किया जा रहा है.
सर्वे की कार्रवाई आज शाम 5:00 बजे तक चलेगी. सभी स्थानों पर वीडियो और फोटोग्राफी की कार्रवाई लगातार जारी है. टीम ने अलग-अलग आकृतियों पत्थरों, मिट्टी, सुर्खी चूना और दीवारों पर हुए चूने को हटाकर दीवारो की कलाकृतियों और उसके बनावट के तरीके की सैंपलिंग करते हुए यहां अब तक की कार्रवाई में दिखाई दी पश्चिमी दीवार पर त्रिशूल, पत्तों और घंटे घड़ियाल के निशानों के अलावा कमल के फूल जैसी आकृति कि नाप जोक करने के साथ ही इसके सैंपल भी कलेक्ट किये हैं, ताकि इनके निर्माण के समय और निर्माण के तरीके का पता लगाया जा सके.
वहीं, एएसआई की टीम अब सर्वे के साथ-साथ रिपोर्ट तैयार करने का काम भी शुरू करने जा रही है. कोर्ट के आदेश के मुताबिक 4 सप्ताह के अंदर एएसआई की टीम को अपनी रिपोर्ट सबमिट करनी है. जिसके बाद एएसआई की टीम इस काम को पूरा करने के साथ ही रिपोर्ट भी तैयार करने में जुट गई है.
छह अलग-अलग चरणों में होगी जांच
पहले चरण में आंकड़ों के संग्रह का काम किया जा रहा है जिससे पुरातात्विक स्थल पर मिल रहे और दिख रहे मलबे इससे कालखंड को जानने की कोशिश के साथ ही इसके ड्राइंग और आंकड़े तैयार करने का काम पूरा किया जा रहा है. द्वितीय चरण में पूरे परिसर का रेखा चित्र बनाया जा रहा है. जिससे इमारत का संभावित प्रारूप और नक्शा तैयार किया जा सके. इससे यह पता चल सकता है कि किस काल खंड में भवन किस रूप में दिखाई देता था. तीसरे चरण में निर्माण में प्रयोग किए गए चीजों का विश्लेषण किया जाएगा और उससे यह स्पष्ट होगा कि किस काल खंड में और किस परंपरा के अनुरूप इस चीजों का निर्माण किया गया है. चौथे चरण में जीपीआर सर्वे के जरिए जमीन और दीवारों के अंदर छुपी सच्चाई को सामने लाने का काम किया जाएगा.पांचवें चरण में तथ्यों का पुनः विश्लेषण और सर्वे के दौरान संभावित कालखंड का निर्धारित मानक का अध्ययन करने के बाद अंतिम छठे चरण में पूरी रिपोर्ट तैयार होगी जो वैज्ञानिक तथ्यपरक के आधार पर कोर्ट के समक्ष रखी जाएगी.
ये भी पढ़ेंः राष्ट्रीय लोक दल ने समाजवादी पार्टी से की 12 लोकसभा सीटों की डिमांड, पशोपेश में सपा मुखिया
ये भी पढ़ेंः अब दुनिया में आगरा के लेदर फुटवियर का बजेगा डंका, मिला जीआई टैग