चामराजनगर (कर्नाटक): कर्नाटक समेत तीन राज्यों में गिद्धों की घटती संख्या को लेकर वन मंत्रालय ने आज से दो दिवसीय सर्वे शुरू कर दिया है. वन विभाग का कहना है कि 80 के दशक में गिद्धों की संख्या लगभग 10 हजार थी, जो घटकर अब केवल 250 रह गई है. कर्नाटक के बांदीपुर, नागरहोल, बीआरटी तमिलनाडु में मधुमलाई और केरल के वायनाडु में गिद्धों की संख्या में काफी कमी आई है. यह सर्वेक्षण नीलगिरी रेंज में किया जा रहा है. बांदीपुर में बीते शुक्रवार कर्मचारियों को गिद्धों की निगरानी का प्रशिक्षण दिया गया.
गिद्ध क्यों महत्वपूर्ण हैं:एक सतत वातावरण में एक दूसरे के बीच एक श्रृंखला कड़ी होती है. गिद्ध शिकार करके जीवित नहीं रहते हैं. जंगल में गिद्धों की जरूरत जंगल के पर्यावरण स्वच्छता के लिए होती है, क्योंकि ये मरे हुए जानवरों को खाकर अपना जीवन यापन करते हैं. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने गिद्धों को बचाने के लिए 2025 तक की योजना बनाई है. यह सर्वेक्षण उस योजना का पहला चरण है. वन संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले गिद्धों को बचाया जाना चाहिए.
गिद्धों के विलुप्त होने का मुख्य कारण:गिद्धों के विलुप्त होने की वजह गायों को दिया जाने वाला डाईक्लोफिनेक (Diclofenac) का इंजेक्शन है. इस इंजेक्शन को 2006 में प्रतिबंधित कर दिया गया था, जिन गिद्धों ने डाइक्लोफेनाक के इंजेक्शन के साथ मरे हुए मवेशियों को खाया था, वे गिद्ध किडनी की समस्या के कारण मर गए, जिससे गिद्धों की संख्या आश्चर्यजनक ढंग से कम हुई. वनों की आग भी इनके पतन का प्रमुख कारण है.