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UN की रिपोर्ट में दावा, अफगानिस्तान में तालिबानियों के साथ सक्रिय हैं पाकिस्तानी आतंकी - News

अफगानिस्तान में लगातार बढ़ रही तालिबान की गतिविधियों का भारत पर बेहद खतरनाक प्रभाव है क्योंकि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठन तालिबान के लिए विशेष से पाकिस्तानी लड़ाकों की भर्ती का काम करते हैं. वरिष्ठ पत्रकार संजीब बरुआ की रिपोर्ट में समझिये इस स्थिति के मायने...

Pakistani terrorists in Afghanistan, UNSC Report
तालिबानी लड़ाके

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Published : Jul 17, 2021, 8:08 PM IST

Updated : Jul 17, 2021, 9:12 PM IST

नई दिल्ली:जिसका डर था, वही हो रहा है अफगानिस्तान में. अमेरिकी सेना के वापस लौटते ही तालिबान लड़ाकों का कहर बरपना शुरू हो चुका है. अब तालिबान से जुड़ी जो जानकारी सामने आ रही है, वो भारत के लिए किसी अशुभ संकेत से कम नहीं है. अफगानिस्तान में तालिबानी लड़ाकों का लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के आतंकवादियों से गठजोड़ लगातार बढ़ रहा है. ये खुलासा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC Report) की ​एक रिपोर्ट में हुआ है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले कुछ समय से ये इस स्थिति को देखा जा रहा है. साथ ही इस घटनाक्रम और भारत पर इसके प्रभाव पर कड़ी नजर रखी जा रही है, क्योंकि निश्चित रूप से यह चिंता का विषय है. भारत इस क्षेत्र का एकमात्र प्रमुख देश है जिसका तालिबान से कोई संबंध नहीं है. अफगानिस्तान में तालिबान के साथ लश्कर और जैश से जुड़े हजारों आतंकवादी स्थानीय सरकार के खिलाफ ऑपरेशन में संयुक्त रूप से काम करते हैं.

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इन आतंकियों के सक्रिय होने से अफगान सरकार बैकफुट पर है. अफगानिस्तान में आतंकवादी तालिबानी लड़ाकों को हर तरह से सुविधा प्रदान कर रहे हैं. लश्कर और जैश दोनों ही सरकारी अधिकारियों और अन्य लोगों की हत्याओं को अंजाम देने के लिए जिम्मेदार हैं.

नंगरहार प्रांत में लश्कर के 800 लड़ाके सक्रिय

यूएन के दस्तावेजों के अनुसार सिर्फ नंगरहार प्रांत में, लश्कर के 800 लड़ाके सक्रिय हैं. जैश के 200 मोहम्मद दाराह, दुर बाबा और शेरजाद जिलों के इलाकों में तालिबान लड़ाकों का साथ दे रहे हैं. एक अन्य महत्वपूर्ण प्रांत जहां इन दोनों संगठनों की प्रमुख उपस्थिति है वो कुनार है. यूएनएससी की मॉनिटरिंग टीम का कहना है कि टीटीपी, जैश और लश्कर पूर्वी प्रांतों कुनार, नंगरहार और नूरिस्तान में मौजूद हैं जहां से वे अफगान तालिबान के तहत अपनी गतिविधियां संचालित करते हैं. 13 व 14 अप्रैल, 2020 को एक आश्चर्यजनक छापेमारी में,

अफगानिस्तान में ऐसे खुली पोल

अफगानिस्तान में राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय (एनडीएस) के कमांडो की एक टीम ने पाकिस्तान की सीमा से लगे नंगरहार के मोमंद दारा में स्थित तालिबान कैंप में स्थित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों पर हमला किया था. मारे गए 15 आतंकवादियों में से केवल पांच अफगान थे, जबकि अन्य 10 पाकिस्तान और पीओके में सक्रिय जेएम आतंकवादी थे. जिन्हें तालिबान द्वारा कश्मीर में लड़ने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा था. प्रशिक्षण की खासियत ये है कि नंगरहार प्रशिक्षण शिविर के भीतर एलओसी का मॉडल बनाया गया था.

बताते चलें कि लश्कर और जैश दोनों ही कश्मीर में सक्रिय हैं और कश्मीर को भारत से अलग करना और उसका पाकिस्तान में विलय करवाना इनका मुख्य उद्देश्य है. लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय पाकिस्तान के मुरीदके में स्थित है और इसका नेतृत्व हाफिज सईद कर रहा है. हाफिज भारत के खिलाफ नफरत भरे भाषणों और भारतीय ठिकानों के खिलाफ आतंकी हमलों की योजना बनाने के लिए कुख्यात है. बीते वर्षों में लश्कर और जेईएम दोनों ने भारत में 2001 में संसद पर हमला और 2008 के मुंबई हमले सहित कई आतंकी हमलों को अंजाम दिया है.

Last Updated : Jul 17, 2021, 9:12 PM IST

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