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Centre Vs Delhi Govt Dispute : दिल्ली मामले पर SC का फैसला, चुनी हुई सरकार के पास अधिकारियों की तैनाती का अधिकार

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार और केंद्र के बीच चल रहे विवाद कि प्रशासनिक सेवाओं पर किसका नियंत्रण होना चाहिए, इस पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाया. कोर्ट को इस बात का निर्णय करना था कि प्रशासनिक फेरबदल जैसे फैसले करने का अधिकार आखिर किसे है.

Centre Vs Delhi Government Dispute
प्रतिकात्मक तस्वीर

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Published : May 11, 2023, 11:58 AM IST

Updated : May 11, 2023, 7:22 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच विवाद पर गुरुवार को अपना फैसला सुनाया. प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा यह फैसला सुनाया गया. कोर्ट ने बहुमत से यह फैसला सुनाया. फैसले में कहा गया कि दिल्ली और केंद्र सरकार दोनों के पास अधिकार हैं. राज्यपाल को सरकार की सलाह माननी चाहिए.

फैसला सुनाते हुए सीजेआई ने कहा कि यह मामला देश में संघीय शासन के असममित मॉडल से संबंधित है. मुद्दा यह है कि दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं को नियंत्रित करने की शक्ति किसके पास होगी. चाहे दिल्ली सरकार हो या केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले एलजी. सीजेआई ने कहा कि सीमित मुद्दा यह है कि क्या संघ सरकार के पास 'सेवाओं' पर विधायी या कार्यकारी शक्ति है. उन्होंने कहा कि 2019 के बंटे हुए फैसले में जस्टिस अशोक भूषण से सहमत नहीं हो पा रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि वह जस्टिस भूषण के इस फैसले से सहमत नहीं है कि दिल्ली सरकार के पास सभी सेवाओं पर कोई शक्ति नहीं है. सीजेआई ने कहा कि पीठ राज्यों की शक्ति के बारे में केंद्र की दलील से सहमत नहीं है. हालांकि, पीठ ने माना कि दूसरे राज्यों की तुलना में दिल्ली के अधिकार कम हैं. भले ही वहां चुनी हुई सरकार है. सीजेआई ने कहा कि NCT पूर्ण राज्य नहीं है.

सीजेआई ने कहा कि हमें यह देखना होगा कि केंद्र के दखल से राज्यों का कामकाज प्रभावित ना हो. सीजेआई ने कहा कि केंद्र का कानून ना हो तो दिल्ली सरकार कानून बना सकती है. उन्होंने कहा कि चुनी गई सरकार जनता के प्रति जवाबदेह है. सीजेआई ने अपने फैसले में कहा कि सेवाओं पर दिल्ली सरकार का नियंत्रण होना चाहिए.

पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति एम.आर. शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा भी शामिल हैं. पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार की ओर से क्रमश: सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की पांच दिन दलीलें सुनने के बाद 18 जनवरी को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. संविधान पीठ का गठन, दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर केंद्र और दिल्ली सरकार की विधायी एवं कार्यकारी शक्तियों के दायरे से जुड़े कानूनी मुद्दे की सुनवाई के लिए किया गया था.

पिछले साल छह मई को शीर्ष न्यायालय ने इस मुद्दे को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेज दिया था.

Last Updated : May 11, 2023, 7:22 PM IST

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