नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने आज राजनीतिक दलों की मुफ्त योजनाओं की घोषणा पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका को सुनवाई के लिए तीन जजों की पीठ के पास भेज दिया है. राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त उपहार के मामले में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि एक चुनावी लोकतंत्र में, सच्ची शक्ति मतदाताओं के पास होती है और मतदाता पार्टियों और उम्मीदवारों को परखते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फ्रीबीज के मुद्दे की जटिलता को देखते हुए मामले को तीन जजों की बेंच के पास भेजा गया है.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमणा के कार्यकाल का आज आखिरी दिन है. सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ आज राजनीतिक दलों की मुफ्त योजनाओं समेत कई अन्य मामलों में अहम फैसला सुनाएगी. इस दौरान इसकी लाइव स्ट्रीमिंग की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट में पहली बार भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ की कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया जाएगा.
इससे पहले हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि यह मुद्दा केवल चुनावी वादों तक ही सीमित नहीं है, जिस पर गौर करना होगा. साथ ही अदालत ने मुद्दे की जांच के लिए समिति बनाने पर विचार किया. देश के कल्याण के लिए मुफ्त के मुद्दे पर बहस की जरूरत है. प्रधान न्यायाधीश (CJI) एनवी रमना (Chief Justice NV Ramana), न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें राजनीतिक दलों की मुफ्त योजनाओं पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी. इस मुद्दे में शामिल कुछ अधिवक्ताओं ने मामले की प्रकृति को देखते हुए मामले में अदालत के हस्तक्षेप के खिलाफ वकालत की थी.
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सीजेआई (CJI NV Ramana) ने कहा, 'कल मान लीजिए कि कोई राज्य किसी विशेष योजना को बंद कर देता है और लाभार्थी हमारे पास यह कहते हुए आता है कि इसे बंद कर दिया गया है, क्या हम सुनने से इनकार कर देंगे? क्या हम कह सकते हैं कि भारत सरकार जो चाहे कर सकती है? यह एक न्यायिक जांच है.' चीफ जस्टिस ने कहा कि अदालत ने एक समिति के गठन का सुझाव दिया था क्योंकि हर कोई मुफ्त चाहता है, और एक समिति इस मुद्दे पर चर्चा के लिए एक तटस्थ मंच के रूप में कार्य कर सकती है.