नई दिल्ली : पंजाब विधान सभा 2022 चुनाव से कुछ हफ्ते पहले उच्चतम न्यायालय सड़क पर मारपीट के 31 साल पुराने मामले में नेता नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ सुनाई गई सजा पर आज समीक्षा करेगा. सिद्धू फिलहाल कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष हैं और राज्य में 20 फरवरी को विधानसभा चुनाव होने वाला है.
शीर्ष अदालत ने 15 मई, 2018 को इस मामले में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के उस फैसले को दरकिनार कर दिया था जिसमें उन्हें गैर इरादतन हत्या का दोषी करार देकर तीन साल कैद की सजा सुनायी गयी थी. हालांकि, शीर्ष अदालत ने सिद्धू को एक वरिष्ठ नागरिक को चोट पहुंचाने का दोषी माना था. शीर्ष अदालत ने सिद्धू को 65 साल के बुजुर्ग को 'जान बूझकर नुकसान पहुंचाने' के अपराध का दोषी ठहराया था, लेकिन उन्हें जेल की सजा से बख्श दिया था एवं उन पर 1000 रूपये का जुर्माना लगाया था,
भादंसं की धारा 323 (जान बूझकर चोट पहुंचाने के लिए दंड) के तहत अधिकतम एक साल की कैद या 1000 रूपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. शीर्ष अदालत ने सिद्धू के सहयोगी रूपिंदर सिंह संधू को यह कहते हुए सभी आरोपों से बरी कर दिया था कि दिसंबर, 1988 के इस अपराध के समय सिद्धू के साथ उनकी मौजूदगी का कोई भरोसेमंद गवाह नहीं है. बाद में सितंबर, 2018 में शीर्ष अदालत मृतक के परिवार की समीक्षा याचिका का परीक्षण करने को राजी हो गयी थी और सिद्धू को नोटिस जारी किया था.