नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने स्कूल के रिकॉर्ड में एक आरोपी के चार वर्ष और 12 वर्ष की अवस्था में हस्ताक्षर के एक समान होने पर आश्चर्य जताया है और किशोर न्याय बोर्ड (JJB) के आदेश पर फिर से गौर करने का निर्णय किया है. जेजेबी ने आरोपी को किशोर घोषित कर दिया था और हत्या के मामले में उसे मामूली सजा के साथ बरी कर दिया था.
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने कहा कि यह दिलचस्प मामला है क्योंकि आरोपी ने चार वर्ष की उम्र में कक्षा एक में और 12 वर्ष की उम्र में कक्षा आठ में एक जैसे हस्ताक्षर किए हैं. पीठ ने किशोर न्याय बोर्ड, बागपत द्वारा आरोपी को किशोर घोषित करने के फैसले पर रोक लगा दी. पीठ ने कहा कि हम इस मसले पर फिर से गौर करना चाहेंगे. साथ ही इसने आरोपी एवं उसकी मां को नोटिस जारी किया और निर्देश दिया कि इसे संबंधित थाने के एसएचओ के माध्यम से भेजा जाए.
शीर्ष अदालत ने छह हफ्ते में उनका जवाब मांगा और निर्देश दिया कि उत्तर प्रदेश सरकार के वकील को भी नोटिस जारी किया जाए. पीठ ने 27 अगस्त को पारित अपने आदेश में कहा कि अगले आदेश तक किशोर न्याय बोर्ड, बागपत के 11 नवंबर 2020 के फैसले पर रोक रहेगी. मृतक के बेटे ऋषिपाल सोलंकी की तरफ से पेश हुए वकील अनुपम द्विवेदी ने वास्तविकता का पता लगाने के लिए आरोपी की चिकित्सीय जांच कराने की मांग की. उन्होंने जेजेबी के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा याचिका खारिज किए जाने को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है.