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Maharashtra Political crisis: 'शिवसेना किसकी', सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मामले को बड़ी बेंच में भेजने की जरूरत नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने नबाम रेबिया के 2016 के आदेश पर पुनर्विचार के लिए याचिकाओं को बड़ी बेंच को भेजने से किया इनकार है. साथ ही उद्धव बनाम एकनाथ गुट मामले पर मेरिट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट से 21 फरवरी से सुनवाई करेगा.

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Published : Feb 17, 2023, 11:34 AM IST

Updated : Feb 17, 2023, 2:29 PM IST

Supreme Court
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नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना के बंटवारे के कारण जून 2022 में पैदा हुए राजनीतिक संकट से संबंधित याचिकाओं को 2016 के नबाम रेबिया फैसले पर पुनर्विचार के लिए सात न्यायाधीशों की पीठ को भेजने से शुक्रवार को इनकार कर दिया. 2016 का फैसला अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए विधानसभा अध्यक्षों की शक्तियों से संबंधित है. साथ ही अब सुप्रीम कोर्ट उद्धव बनाम एकनाथ गुट मामले पर मेरिट के आधार पर 21 फरवरी से सुनवाई करेगा.

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि 2016 के नबाम रेबिया के फैसले को संदर्भ की आवश्यकता है या नहीं, 21 फरवरी को मामले की योग्यता के साथ विचार किया जाएगा. 'नतीजतन, मामले की योग्यता पर सुनवाई मंगलवार, सुबह 10:30 बजे होगी, जिसमें एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हेमा कोहली और पी एस नरसिम्हा भी शामिल हैं.

हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा:महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट मामले पर सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा है कि हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है. लोकतंत्र में बहुमत के साथ सत्ता में आना बहुत मायने रखता है. हम लोगों की बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं. इसलिए हम चाहते हैं कि न्यायपालिका योग्यता के आधार पर फैसला करे.

बता दें, शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और एएम सिंघवी ने नबाम रेबिया के फैसले पर फिर से विचार करने के लिए मामलों को सात न्यायाधीशों की पीठ को भेजने की मांग की थी. पार्टी के एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले धड़े की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और एन के कौल ने बड़ी पीठ को भेजे जाने का विरोध किया था.

महाराष्ट्र की राज्यपाल की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी इस मामले को बड़ी पीठ को सौंपने के किसी भी कदम का विरोध किया था. 2016 में, पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अरुणाचल प्रदेश के नबाम रेबिया मामले का फैसला करते हुए कहा था कि विधानसभा अध्यक्ष विधायकों की अयोग्यता की याचिका पर आगे नहीं बढ़ सकते हैं, अगर स्पीकर को हटाने की पूर्व सूचना सदन के समक्ष लंबित है.

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यह फैसला शिंदे के नेतृत्व वाले बागी विधायकों के बचाव में आया था, जो अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं. ठाकरे गुट ने उनकी अयोग्यता की मांग की थी, जबकि महाराष्ट्र विधानसभा के उपसभापति नरहरि सीताराम ज़िरवाल को हटाने के लिए शिंदे समूह का एक नोटिस, ठाकरे के वफादार, सदन के समक्ष लंबित था.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Feb 17, 2023, 2:29 PM IST

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