सुप्रीम कोर्ट ने जन्मतिथि बदलने पर बर्खास्त हुए कांस्टेबल को किया बहाल, कहा- 'बर्खास्तगी अनुचित व दमनकारी' - कांस्टेबल की बर्खास्तगी
सुप्रीम कोर्ट ने एक कांस्टेबल की बर्खास्तगी को बहाल करने का आदेश दिया है, जिसने अपनी जन्मतिथि में फेरबदल की थी. अदालत ने उसकी बहाली का आदेश देते हुए कहा कि दोषमुक्ति के फैसले की पूरी तरह से जांच करने के बाद ही अनुशासनात्मक कार्यवाही में हस्तक्षेप कर सकती है. Supreme Court, Supreme Court News, Supreme Court on dismissal of constable
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सशस्त्र कांस्टेबुलरी, 9वीं बटालियन, जोधपुर के एक कांस्टेबल को बहाल करने का आदेश दिया है, जिसे उसकी जन्मतिथि बदलने के कारण बर्खास्त कर दिया गया था. कोर्ट ने कहा कि अदालत दोषमुक्ति के फैसले की पूरी तरह से जांच करने के बाद अनुशासनात्मक कार्यवाही में हस्तक्षेप कर सकती है और अदालत संदेह का लाभ और सम्मानपूर्वक बरी जैसी शब्दावली के उपयोग से प्रभावित नहीं हो सकती है.
न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि 'हम अतिरिक्त रूप से संतुष्ट हैं कि अपीलीय न्यायाधीश के निष्कर्ष के तहत, अनुशासनात्मक कार्यवाही और उस पर पारित आदेशों को टिकने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. आरोप न सिर्फ एक जैसे थे, बल्कि सबूत, गवाह और परिस्थितियां सभी एक जैसी थीं.'
पीठ ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है, जहां हम अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए अनुशासनात्मक प्राधिकारी और अपीलीय प्राधिकारी के आदेशों को रद्द करते हैं, क्योंकि उन्हें खड़े रहने की अनुमति देना अन्यायपूर्ण, अनुचित और दमनकारी होगा. पीठ की ओर से फैसला लिखने वाले न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने कहा कि 'यदि विभागीय जांच और आपराधिक अदालत में आरोप समान या एक जैसे हैं, और यदि साक्ष्य, गवाह और परिस्थितियां एक ही हैं, तो मामला एक अलग आयाम प्राप्त कर लेता है.'
न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने 4 दिसंबर को दिए फैसले में कहा कि 'यदि न्यायिक समीक्षा में अदालत यह निष्कर्ष निकालती है कि आपराधिक कार्यवाही में बरी करना अभियोजन पक्ष के साक्ष्यों पर पूर्ण विचार करने के बाद था और अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में बुरी तरह विफल रहा, तो न्यायिक समीक्षा में अदालत कुछ परिस्थितियों में राहत दे सकती है.'