नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में अतिक्रमण हटाने और अवैध निर्माण ढहाने की कार्रवाई पर रोक लगा दी है. शीर्ष अदालत ने दंगे के आरोपियों के खिलाफ कथित तौर पर लक्षित नगर निकायों की कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिका भी सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली. प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने जहांगीरपुरी में यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए. पीठ ने कहा कि याचिका को उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट कल इस मामले पर सुनवाई करेगा. शीर्ष अदालत ने दिल्ली के मुख्य सचिव, एमसीडी और जहांगीरपुरी के एसएचओ को लीगल नोटिस जारी किया है.
इस मामले पर नॉर्थ एमसीडी के मेयर राजा इकबाल सिंह ने कहा कि निगम के द्वारा जहांगीरपुरी में अवैध रूप से किए गए अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है. अभी सिर्फ और सिर्फ गैरकानूनी तरीके से बनाई गई कबाड़ की दुकानों को हटाया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को लेकर मेयर ने कहा कि कोर्ट के आदेशों का हम सम्मान करते हैं और उसका पालन किया जा रहा है. अभी तक सिर्फ अवैध रूप से किए गए अतिक्रमण के खिलाफ की कार्रवाई की गई है.
वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने एनडीएमसी और पीडब्ल्यूडी सहित अन्य नगर निकायों के विशेष अतिक्रमण रोधी अभियान के खिलाफ दायर एक याचिका का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि निर्माण ढहाने के लिए पूरी तरह से अनधिकृत और असंवैधानिक आदेश दिया गया है. दवे ने आरोप लगाया कि निर्माण ढहाने की कार्रवाई बुधवार दोपहर दो बजे शुरू होनी थी, लेकिन यह सुबह नौ बजे से ही प्रारंभ कर दी गई और कथित उल्लंघनकर्ताओं को इस बाबत कोई अनिवार्य नोटिस नहीं दिया गया है, जबकि 15 दिन का नोटिस जरूरी होता है. इस बीच, एनडीएमसी के मेयर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई रोक दी गई है.